Login    |    Register
Menu Close

Tag: व्यंग्य_कविता

एक रंगीन व्यंग्यात्मक कैरिकेचर जिसमें एक नेता मंच पर आंख मिचमिचा रहा है, पीछे सूरत शहर की झलक है, और जनता ताली बजाने की बजाय सीटें घुमा रही है।

आउल जी को भेंट-हास्य व्यंग्य कविता

सूरत की राजनीति में खानदानी गुरुर ने ऐसा पेंच फँसाया कि ‘बाई’ की जगह ‘राड’ निकल गया। जनसभाओं में गुणगान करते-करते सीट हाथ से निकल…

Spread the love