आप तो बस लिखते रहिए.. डॉ मुकेश 'असीमित' November 24, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “आप लिखते हैं तो लोग आपको क्रांतिकारी समझ लेते हैं—खुद रिमोट बदलने से डरते हैं पर क्रांति की बंदूक आपके कंधे पर रखकर चलाना चाहते… Spread the love
कान-भरैयों का महाग्रंथ :बात आपकी, कथा इनकी—और बीच में कानों की चिल्लम डॉ मुकेश 'असीमित' November 24, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “कान-भरैयों की दुनिया बड़ी विचित्र है—ये आधा सुनते, चौथाई समझते और बाकी अपनी कल्पना की दही में फेंटकर ऐसी तड़कती-भड़कती कहानी बना देते हैं कि… Spread the love