आत्मबोध से विश्वबोध तक — चेतना की वह यात्रा जो मनुष्य को ‘मैं’ से ‘हम’ बनाती है डॉ मुकेश 'असीमित' October 15, 2025 Darshan Shastra Philosophy 0 Comments “जब मनुष्य अपने भीतर के ‘मैं’ से जागता है, तभी उसके बाहर का ‘हम’ जन्म लेता है। आत्मबोध से विश्वबोध की यह यात्रा केवल ध्यान… Spread the love
जगाते है-कविता-बात अपने देश की Sanjaya Jain June 29, 2025 Poems 0 Comments यह आत्मपरिचयात्मक कविता एक लेखक के अंतरमन की झलक देती है — जहाँ लेखनी के गुण-दोष, धनहीनता में भी मन की समृद्धि, और समाज को… Spread the love
आप बधाई के पात्र है डॉ मुकेश 'असीमित' March 29, 2020 Self Help and Improvements 1 Comment कोरोना काल केवल एक महामारी नहीं था, वह आत्मविश्लेषण का अवसर भी था। आप पेट्रोल बचाकर, नींद पूरी कर, प्रकृति को साँस लेने का मौका… Spread the love