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Tag: कविता

एक प्राकृतिक पत्थर जो मंदिर, नदी, रास्ते और पहाड़ से जुड़ी विविधता को दर्शाता है; आधा तराशा गया, आधा बिखरा हुआ।

एक पत्थर की कहानी -कविता रचना

विद्या पोखरियाल की यह कविता “पत्थर हूं मैं” जीवन की विसंगतियों को एक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है। यह पत्थर कभी पूजित है,…

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एक लड़का रात में खिड़की से तारों को देखता हुआ, पीछे शेल्फ पर रखी ट्रॉफियों के बीच बैठा है — उसकी आँखों में प्रश्न हैं, सपने हैं।

मैं बच्चा हूँ, ट्रॉफी नहीं-कविता -डॉ मुकेश असीमित

यह कविता एक बच्चे की अंतरात्मा की पुकार है—जो केवल अपने लिए जीना चाहता है, किसी की महत्वाकांक्षा की ट्रॉफी बनकर नहीं। वह अपने सपनों…

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"एक बच्चे द्वारा कचरा पात्र में केले का छिलका डालते हुए, पास में ईमानदार नौकरानी, सैनिक की पत्नी बुज़ुर्ग की सेवा में, और एक डॉक्टर मानवता के शिविर की ओर दौड़ती हुई – रोज़मर्रा के साधारण कर्मों में देशभक्ति की झलक।"

क्या होती देशभक्ति?-कविता-बात-अपने-देश-की

देशभक्ति केवल नारों या गीतों में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के उन छोटे-छोटे कर्मों में छिपी होती है जो सादगी से, ईमानदारी से, कर्तव्य की भावना…

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भारत माता को नमन करता एक व्यक्ति, भारत के नक्शे पर खड़ी भारत माता के हाथ में तिरंगा और कमल, पृष्ठभूमि में हिमालय और समुद्र।

मातृभूमि-कविता देश भक्ति की

यहकविता मातृभूमि के प्रति श्रद्धा, बलिदान और गौरव की भावना को दर्शाती है। हिमालय से सागर तक फैली इस पुण्यभूमि को नमन करते हुए व्यक्ति…

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एक घना हरा-भरा जंगल जिसमें सामने एक हिरण खड़ा है, ऊपर एक पक्षी उड़ रहा है और एक कौआ झाड़ी पर बैठा है; पृष्ठभूमि में धुंध से ढकी पहाड़ियाँ और ऊँचे-ऊँचे पेड़ दिख रहे हैं।

जंगल की पुकार: हरियाली, जीवन और संरक्षण की कविता

जंगल केवल पेड़ों और जानवरों का घर नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यह हरियाली, शांति, और जैव विविधता का प्रतीक हैं, जो…

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