आत्मबोध से विश्वबोध तक — चेतना की वह यात्रा जो मनुष्य को ‘मैं’ से ‘हम’ बनाती है डॉ मुकेश 'असीमित' November 11, 2025 Darshan Shastra Philosophy 0 Comments “मनुष्य की सबसे लंबी यात्रा कोई भौगोलिक नहीं होती — वह भीतर जाती है। आत्मबोध से विश्वबोध तक की यह यात्रा ‘मैं’ से ‘हम’ बनने… Spread the love
नासदीय सूक्त की दार्शनिक व्याख्या डॉ मुकेश 'असीमित' October 28, 2025 Darshan Shastra Philosophy 0 Comments ऋग्वेद का नासदीय सूक्त ब्रह्मांड की उत्पत्ति पर विश्व के सबसे प्राचीन दार्शनिक चिंतन में से एक है। यह कहता है कि जब न अस्तित्व… Spread the love
गोवर्धन पूजा — धरती, धारण और धारणा का उत्सव डॉ मुकेश 'असीमित' October 21, 2025 Important days 0 Comments गोवर्धन लीला केवल एक पौराणिक प्रसंग नहीं, बल्कि मानव चेतना की यात्रा है—जहाँ कृष्ण भक्त के रक्षक, गुरु और प्रेमस्वरूप हैं। इंद्र का गर्व, ब्रजवासियों… Spread the love
आत्मबोध से विश्वबोध तक — चेतना की वह यात्रा जो मनुष्य को ‘मैं’ से ‘हम’ बनाती है डॉ मुकेश 'असीमित' October 15, 2025 Darshan Shastra Philosophy 0 Comments “जब मनुष्य अपने भीतर के ‘मैं’ से जागता है, तभी उसके बाहर का ‘हम’ जन्म लेता है। आत्मबोध से विश्वबोध की यह यात्रा केवल ध्यान… Spread the love
“ऋग्वेद: ज्ञान के आदिम सागर की यात्रा” डॉ मुकेश 'असीमित' September 27, 2025 Darshan Shastra Philosophy 0 Comments भाग 1 कल्पना कीजिए वह समय, जब हाथ में कलम नहीं, कंधों पर कथा थी; जब ज्ञान कागज़ पर नहीं, स्मृति की नसों में दौड़ता… Spread the love
पंडित दीनदयाल उपाध्याय : साहित्य और एकात्म मानववाद डॉ मुकेश 'असीमित' September 25, 2025 शोध लेख 0 Comments Pandit Deendayal Upadhyaya’s philosophy of *Integral Humanism* placed the individual at the heart of politics, economics, and society. For him, development was not about statistics… Spread the love