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Tag: भारतीय समाज

संस्था के स्वयंवर में योग्यता नहीं, जुगाड़ के सहारे दूल्हों की भीड़, हर कोई पहुंच और सिफारिश से वरमाला हासिल करने को आतुर।

संस्था का स्वयंवर: ‘योग्यता’ नहीं, ‘जुगाड़’ की वरमाला!

संस्था अब कोई विचारशील मंच नहीं, एक शर्मीली दुल्हन बन चुकी है, जिसका स्वयंवर हर दो साल बाद होता है। यहां वरमाला योग्यताओं पर नहीं,…

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