संस्था का स्वयंवर: ‘योग्यता’ नहीं, ‘जुगाड़’ की वरमाला! डॉ मुकेश 'असीमित' July 30, 2025 व्यंग रचनाएं 6 Comments संस्था अब कोई विचारशील मंच नहीं, एक शर्मीली दुल्हन बन चुकी है, जिसका स्वयंवर हर दो साल बाद होता है। यहां वरमाला योग्यताओं पर नहीं,… Spread the love
मुफ्त की सलाह -मुफ्त का चन्दन घिस मेरे लाल डॉ मुकेश 'असीमित' May 22, 2024 हिंदी लेख 0 Comments कंसल्टेंसी का व्यवसाय तेजी से फल-फूल रहा है, चाहे वो फाइनेंशियल, टैक्स, लीगल, स्टॉक मार्केट, कंपनी, या ज्योतिष कंसल्टेंट हों। पर क्या आप सोच सकते… Spread the love