लोकतंत्र का रक्षा बंधन पर्व-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 9, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments रक्षा बंधन पर्व का नया संस्करण—भ्रष्टाचार और रिश्वत का भाई-बहन का पवित्र रिश्ता। सत्ता और विपक्ष दोनों पंडाल में, ₹2000 की नोटों की साड़ी पहने… Spread the love