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Tag: लोक-संस्कृति

ग्राम्य यादों का कोलाज: बच्चे मिट्टी में खेलते, तालाब में तैरते, थैलों में बाजरे-ज्वार के खेत, आँगन में खाट पर बैठे चाँद-तारों से बातें करते लोग; दादी हाथ में चटाई लेकर चिड़ियों की कहानी सुना रही है; बैकग्राउंड में खादी टोपी, पारम्परिक स्नैक्स और बाग़ की हरियाली — सेफ़िया-नॉस्टैल्जिया, प्रकृति-कनेक्शन और ग्रामीण जीवन की गर्माहट का दृश्य।

हम उस ज़माने के थे -हास्य व्यंग्य रचना

“हम उस ज़माने के थे — जब ‘फ्री डिलीवरी’ मतलब रामदीन काका के बाग़ के अमरूद थे।” “खेतों की हवा, खाट पर रातें और दादी…

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कार्टून: मेले में ‘Made-in-Japan’ रावण का वाटरप्रूफ पुतला मंच पर चमक रहा है; सामने बच्चे खिलौने लेकर खुश, आयोजक चुपचाप चेक बाँटते; पुतले के पीछे छिपा एक मुस्कुराता शैडो-आदमी असली रावण को दर्शाता है — व्यंग्यात्मक और रंगीन।

कलियुग का रावण-व्यंग्य रचना

अख़बार ने लिखा — इस बार रावण ‘मेड-इन-जापान’! पुतला बड़ा, वाटरप्रूफ, और दोनों पैरों से वोट माँगने तैयार। हम रोते नहीं, तमाशा देखते हैं: रावण…

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