कंजूस मक्खीचूस-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' November 10, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments कंजूस लोग धन को संग्रह करते हैं, उपभोग नहीं। मगर यह भी कहना होगा कि ये लुटेरों और सूदखोरों से फिर भी भले हैं—क्योंकि कम… Spread the love
मैं और मेरा मोटापा – एक प्रेमकथा डॉ मुकेश 'असीमित' August 23, 2025 हास्य रचनाएं 5 Comments “मैं और मेरा मोटापा – एक प्रेमकथा” में तोंद और इंसान का रिश्ता मोहब्बत जैसा दिखाया गया है। पड़ोसी शर्मा जी की खीझ, रिश्तेदारों की… Spread the love
गिरने में क्या हर्ज़ है-पुस्तक समीक्षा व्यंग्यकार अर्चना चतुर्वेदी द्वारा डॉ मुकेश 'असीमित' July 9, 2025 Book Review 1 Comment ‘गिरने में क्या हर्ज है’ डाक्टर मुकेश ‘असीमित’ जी का पहला व्यंग्य संग्रह है । पहले संग्रह के हिसाब से देखा जाए तो डॉक्टर साब… Spread the love