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Tag: सत्ता

एक व्यंग्यात्मक चित्र जिसमें एक नाग दूध के कटोरे के सामने बैठा है, आस-पास सूट-बूट पहने नेतागण नाग की पूजा कर रहे हैं और जनता टैक्स रूपी दूध से कटोरा भर रही है। पीछे पोस्टर पर लिखा है — "लोकतंत्र में नागों की जय!"

वोट से विष तक : नागों का लोकतांत्रिक सफर

यह रचना नाग पंचमी के बहाने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर करारा व्यंग्य है। इसमें नाग रूपी नेताओं की तुलना असली साँपों से करते हुए बताया गया…

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एक थकी हुई जनता की प्रतीकात्मक छवि जिसमें साहब कुर्सी पर झुके हैं, चपरासी दीवार से टेक लगाए ऊंघ रहा है और बैकग्राउंड में लिखा है – "देव सो रहे हैं..." – दर्शाता है सामाजिक तटस्थता और भाषाई राजनीतिक विडंबना।

देव सो रहे हैं और आम आदमी पिट रहा है….? व्यंग्य

जब देव सोते हैं तो देश की नींव भी ऊंघने लगती है। जनता, बाबू, साहब और चपरासी सब अपनी-अपनी तरह से नींद का महिमामंडन करते…

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