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Tag: Ancient India

एक साधारण रेखाचित्र जिसमें केंद्र में ध्यानमग्न व्यक्ति की आकृति हो — उसके चारों ओर छह गोलाकार परतें: 1️⃣ तर्क (Justice – न्याय) — प्रकाश की किरण जैसी। 2️⃣ तत्व (Vaisheshika – वैशेषिक) — परमाणुओं के प्रतीक बिंदु। 3️⃣ चेतना (Sankhya – सांख्य) — अर्ध खुली आँखें, भीतर दृष्टि। 4️⃣ साधना (Yoga – योग) — शांत श्वास का लयबद्ध प्रवाह। 5️⃣ कर्म (Mimamsa – मीमांसा) — हाथ जोड़ते हुए कर्मशील आकृति। 6️⃣ एकत्व (Vedanta – वेदांत) — ऊपरी आभामंडल में विलय होती ऊर्जा। रंग: मृदु सुनहरा, हल्का नीला और मिट्टी का टोन; कोई टेक्स्ट नहीं।

भारतीय दर्शनशास्त्र: जब प्रश्न व्यवस्था माँगते हैं — आत्मबोध से विश्वबोध तक

भारतीय दर्शन उस अनूठी यात्रा का नाम है जो व्यक्ति के “मैं” से शुरू होकर “हम” तक पहुँचती है। न्याय बुद्धि को कसौटी देता है,…

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“अग्नि के यज्ञकुण्ड से उठते स्वर्णिम मंत्र, आकाश में तारामंडल देवताओं की उपस्थिति, एक ऋषि यजुर्वेद का पाठ करते हुए, नदीयां आहुति की धाराओं में बदलती हुईं, और धरती-आकाश के बीच संतुलन का दिव्य चक्र।”

यजुर्वेद: कर्म, यज्ञ और जीवन संतुलन का शाश्वत वेद

यजुर्वेद कर्म और यज्ञ का वेद है। यह हमें बताता है कि जीवन का हर कार्य एक यज्ञ है—घर चलाना, समाज सेवा करना या प्रकृति…

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तारों भरे आकाश में OM की तरंगें फैलती हुईं; सात चमकते सुर नक्षत्रों की तरह तैर रहे हैं; एक ध्यानमग्न उद्गाता यज्ञाग्नि के पास गा रहा है; नदी संगीत की पाँच रेखाओं में बदलती है; मंदिर की घंटियाँ तरंगाकार प्रकाश बनकर वातावरण में घुलती हैं—समग्र दृश्य में रहस्यमय, सौम्य, और आध्यात्मिक आभा।

सामवेद—नाद ब्रह्म, ध्वनि से समाधि तक

सामवेद हमें सिखाता है कि शब्द तभी पूर्ण होते हैं जब वे सुर और लय में ढलकर कंपन बनें—वही कंपन मन को विन्यस्त करता है,…

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