तंदूरी रोटी युद्ध: वीर तुम डटे रहो डॉ मुकेश 'असीमित' November 28, 2025 Poems 0 Comments “शादी के पंडाल में तंदूरी रोटी अब सिर्फ़ खानपान नहीं रही, पूर्ण युद्ध बन चुकी है। दूल्हे से ज़्यादा चर्चा उस वीर की होती है,… Spread the love
ट्रेडमिल : घर आया मेहमान-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 11, 2025 हास्य रचनाएं 4 Comments ट्रेडमिल बड़े जोश से घर आया, पर महीने भर में कपड़े सुखाने का स्टैंड बन गया। जैकेट, साड़ियाँ, खिलौने सब उस पर लटकने लगे। वज़न… Spread the love
मेरी बे-टिकट रेल यात्रा-यात्रा संस्मरण डॉ मुकेश 'असीमित' July 14, 2025 संस्मरण 2 Comments हॉस्टल की ‘थ्रिल भरी’ दुनिया से निकली एक रोमांचक रेल यात्रा की कहानी, जहाँ एक मेडिकल छात्र पुरानी आदतों के नशे में बिना टिकट कोटा… Spread the love