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Tag: Indian philosophy

स्वामी विवेकानंद ध्यानमग्न मुद्रा में खड़े हैं — एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में उठी हुई उँगली जैसे वेदान्त का उपदेश दे रहे हों। पृष्ठभूमि में उगता सूर्य भारतीय समाज, शिक्षा, और आधुनिक जीवन में “प्रायोगिक वेदान्त” के पुनर्जागरण का प्रतीक बनकर चमक रहा है। दृश्य में युवा, शिक्षक, और किसान जैसे पात्र भी हैं जो कर्म, सेवा, और आत्मविश्वास से प्रेरित दिखाई दे रहे हैं।

विवेकानंद और आधुनिक प्रायोगिक वेदान्त की प्रासंगिकता

स्वामी विवेकानंद ने वेदान्त को ग्रंथों से निकालकर जीवन के प्रत्येक कर्म में उतारा — उन्होंने कहा, “यदि वेदान्त सत्य है, तो उसे प्रयोग में…

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“गहन अमावस्या के आकाश में भारत का मानचित्र दीपों से आलोकित है — दीयों की ज्योति से लक्ष्मी, महावीर, शिव और राम के प्रतीक उभर रहे हैं, एक ध्यानमग्न मानव आकृति दीप के भीतर बैठी आत्मज्योति का प्रतीक है — अंधकार से प्रकाश की ओर मानव चेतना की यात्रा का सांकेतिक चित्र।”

दीपावली — अंधकार के गर्भ से ज्योति का जन्म

“दीपावली अमावस्या की निस्तब्धता से जन्मी वह ज्योति है जो केवल घर नहीं, हृदय की गुफाओं को आलोकित करती है। यह बाह्य उत्सव से अधिक…

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“अमावस्या के अंधकार में रखा एक छोटा दीप, जिसकी लौ से मानव आकृति का आलोक उभर रहा है — अंधकार से प्रकाश की ओर आत्म-यात्रा का प्रतीकात्मक चित्र।”

नरक चतुर्दशी — रूप, ज्योति और आत्म-शुद्धि की यात्रा

“नरक चतुर्दशी केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भीतर के नरक से मुक्ति का पर्व है। यह मन की अंधकारमय प्रवृत्तियों से प्रकाशमय चेतना की ओर…

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एक साधारण रेखाचित्र जिसमें केंद्र में ध्यानमग्न व्यक्ति की आकृति हो — उसके चारों ओर छह गोलाकार परतें: 1️⃣ तर्क (Justice – न्याय) — प्रकाश की किरण जैसी। 2️⃣ तत्व (Vaisheshika – वैशेषिक) — परमाणुओं के प्रतीक बिंदु। 3️⃣ चेतना (Sankhya – सांख्य) — अर्ध खुली आँखें, भीतर दृष्टि। 4️⃣ साधना (Yoga – योग) — शांत श्वास का लयबद्ध प्रवाह। 5️⃣ कर्म (Mimamsa – मीमांसा) — हाथ जोड़ते हुए कर्मशील आकृति। 6️⃣ एकत्व (Vedanta – वेदांत) — ऊपरी आभामंडल में विलय होती ऊर्जा। रंग: मृदु सुनहरा, हल्का नीला और मिट्टी का टोन; कोई टेक्स्ट नहीं।

भारतीय दर्शनशास्त्र: जब प्रश्न व्यवस्था माँगते हैं — आत्मबोध से विश्वबोध तक

भारतीय दर्शन उस अनूठी यात्रा का नाम है जो व्यक्ति के “मैं” से शुरू होकर “हम” तक पहुँचती है। न्याय बुद्धि को कसौटी देता है,…

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“ध्यानमग्न मानव आकृति जिसके हृदय से प्रकाश की तरंगें निकलकर ब्रह्मांड में फैल रही हैं — आत्मबोध से विश्वबोध तक की यात्रा का प्रतीकात्मक चित्र।”

आत्मबोध से विश्वबोध तक — चेतना की वह यात्रा जो मनुष्य को ‘मैं’ से ‘हम’ बनाती है

“जब मनुष्य अपने भीतर के ‘मैं’ से जागता है, तभी उसके बाहर का ‘हम’ जन्म लेता है। आत्मबोध से विश्वबोध की यह यात्रा केवल ध्यान…

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Surreal abstract scene showing a radiant bridge joining East and West, four luminous rivers named for the four yogas merging into a central sun, determined youth silhouettes with lion-like heartbeat lines, and serving hands transforming into a temple bell—symbolizing Vivekananda’s call to rise, awaken, and serve.

उठो, जागो: विवेकानंद का व्यावहारिक वेदांत—युवाओं के लिए जीवन-मंत्र

विवेकानंद का संदेश युवाओं को भीतर की अनंत शक्ति पहचानने, निडर होकर लक्ष्य चुनने और सेवा को पूजा मानने का आह्वान है। व्यावहारिक वेदांत बताता…

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“अग्नि के यज्ञकुण्ड से उठते स्वर्णिम मंत्र, आकाश में तारामंडल देवताओं की उपस्थिति, एक ऋषि यजुर्वेद का पाठ करते हुए, नदीयां आहुति की धाराओं में बदलती हुईं, और धरती-आकाश के बीच संतुलन का दिव्य चक्र।”

यजुर्वेद: कर्म, यज्ञ और जीवन संतुलन का शाश्वत वेद

यजुर्वेद कर्म और यज्ञ का वेद है। यह हमें बताता है कि जीवन का हर कार्य एक यज्ञ है—घर चलाना, समाज सेवा करना या प्रकृति…

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एक अद्भुत दृश्य जिसमें जीवन का वृक्ष चमकते जड़ी-बूटियों से बना है, उसकी शाखाओं पर मंत्रों की उजली लिपि चमक रही है। वृक्ष के नीचे ध्यानरत व्यक्ति के चारों ओर सुनहरा सुरक्षा-कवच है। एक परिवार सकारात्मक ऊर्जा के गुम्बद के भीतर एकजुट खड़ा है। आकाश में ओंकार की तरंगें फैल रही हैं और तारों से यंत्राकार आकृतियाँ बन रही हैं।

अथर्ववेद : जीवन, स्वास्थ्य, प्रेम, संरक्षण और ब्रह्मांडीय ज्ञान

अथर्ववेद जीवन का सबसे व्यावहारिक वेद है—जहाँ स्वास्थ्य के लिए औषधियों और मंत्रों का संगम मिलता है, रिश्तों को संवारने के सूत्र हैं, भय और…

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