Login    |    Register
Menu Close

Tag: social commentary

संस्था के स्वयंवर में योग्यता नहीं, जुगाड़ के सहारे दूल्हों की भीड़, हर कोई पहुंच और सिफारिश से वरमाला हासिल करने को आतुर।

संस्था का स्वयंवर: ‘योग्यता’ नहीं, ‘जुगाड़’ की वरमाला!

संस्था अब कोई विचारशील मंच नहीं, एक शर्मीली दुल्हन बन चुकी है, जिसका स्वयंवर हर दो साल बाद होता है। यहां वरमाला योग्यताओं पर नहीं,…

Spread the love
A comic-style train scene showing a medical student hiding nervously during a ticketless train ride, while a ticket checker enters from the opposite end. A notice about fines for ticketless travel is visible in the background.

मेरी बे-टिकट रेल यात्रा-यात्रा संस्मरण

हॉस्टल की ‘थ्रिल भरी’ दुनिया से निकली एक रोमांचक रेल यात्रा की कहानी, जहाँ एक मेडिकल छात्र पुरानी आदतों के नशे में बिना टिकट कोटा…

Spread the love
ट्रैफिक जाम, गड्ढों भरी सड़क, निराश चेहरे, स्कूल फीस से परेशान अभिभावक और "वाह भाई वाह" का बोर्ड लिए खड़ा आम नागरिक।

वाह भाई वाह -कविता -हास्य व्यंग्य

सामाजिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती ये कविता ‘वाह भाई वाह’ हमें उन विसंगतियों का एहसास कराती है जहाँ ज़िंदगी त्रासदी बन चुकी है, फिर…

Spread the love
A satirical cartoon showing a loud influencer with an overflowing half pot on social media, surrounded by amused and clueless audiences, while wise people stay silent in the background with full pots.

अधगल गगरी छलकत जाए-हास्य-व्यंग्य

आज की डिजिटल दुनिया में अधजल गगरी का छलकना नए ट्रेंड का प्रतीक बन गया है। सोशल मीडिया पर ज्ञान कम और आत्मविश्वास ज़्यादा दिखाई…

Spread the love
A mango with a human face, sipping tea and reading a newspaper with perplexed and amused expressions about mundane events.

दिव्यांग आम-व्यंग रचना -डॉ मुकेश गर्ग

“आम का एक प्रकार है लंगड़ा आम। जब सरकार ने लंगड़ा शब्द को डिक्शनरी से हटा दिया और दिव्यांग शब्द जोड़ दिया, तो फिर आम…

Spread the love