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Tag: SocialCommentary

बड़े कोल्हू का कार्टून—बीच में जोते हुए पट्टी बांधे बैल, ऊपर आराम करते नेता-आफिसर तेल की बोतलें पकड़ कर हँस रहे हैं; पृष्ठभूमि में रैलियों के लाउडस्पीकर और घंटी बजती दिखती है।

कोल्हू का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना

यह लोकतंत्र दरअसल एक कोल्हू है जिसमें बैल बनकर हम आमजन जोते जा रहे हैं। मालिक—नेता और अफसर—आराम से ऊँची कुर्सियों पर बैठकर तेल चूस…

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एक अमूर्त चित्र जिसमें एक धुंधली आकृति आईने में देख रही है, चेहरा स्पष्ट नहीं, पर मुस्कान विद्रूप है; पीछे टीवी स्क्रीन पर "Breaking News", और एक कैलेंडर की उलटी तारीखें दर्शाई गई हैं।

मैं झूठ की तलाश में हूँ-कविता रचना

यह कविता एक खोज है उस झूठ की, जिसे हमने सच मान लिया—जिसे प्रार्थनाओं, राष्ट्रगान, टीवी बहसों और भावनाओं में पवित्रता की तरह सजाया गया।…

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