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Tag: कानभरैया

“एक व्यंग्यात्मक चित्र जिसमें दो लोग फुसफुसाकर किसी तीसरे के कान में तंजीया और बढ़ा-चढ़ाकर बातें भर रहे हैं। तीसरा व्यक्ति उलझन में, कान पकड़े खड़ा है, जबकि पीछे धुआँ उठता दिख रहा है मानो अफवाहों की चक्की चल रही हो। चित्र पूरे दृश्य को हास्य-व्यंग्य शैली में दर्शाता है।”

कान-भरैयों का महाग्रंथ :बात आपकी, कथा इनकी—और बीच में कानों की चिल्लम

“कान-भरैयों की दुनिया बड़ी विचित्र है—ये आधा सुनते, चौथाई समझते और बाकी अपनी कल्पना की दही में फेंटकर ऐसी तड़कती-भड़कती कहानी बना देते हैं कि…

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