सिस्टम, सिस्टमैटिकली बच निकला है —व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 26, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments एक और सरकारी छत गिरी, मासूम मरे, सिस्टम फिर बच निकला — जैसे संविधान में इसके लिए छूट हो। सरकार की संवेदना ट्विटर और प्रेस… Spread the love