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Tag: लोकनीति

सर्किट हाउस के पोर्च पर लक्ज़री कार से उतरते काले चश्मे और सफेद कुर्ते-पायजाम में बड़े नेता; पीछे सफेद टोपी और खादी पहने कार्यकर्ता माला-पहनाने, सेल्फी और टॉवेल से मुंह पोंछने की होड़ में; मैदान में पट्टे-बैनरों और नारेबाज़ी के बीच बूढ़े गांधीवादी नेता की टोपी गिरकर कालीन पर पड़ी है — सत्ता, दिखावा और रस्मों की विडम्बना का कार्टूनैरिक दृश्य।

चुनावी टिकट की बिक्री-हास्य व्यंग्य रचना

“सर्किट हाउस की दीवारों में लोकतंत्र की गूँज नहीं — सिर्फ फ़ोटोग्राफ़ और आरक्षण की गंध है।” “माला पहनी, सेल्फी ली — और गांधी टोपी…

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