आप बधाई के पात्र है
इस कोरोना इरा में जाने अनजाने में कुछ ऐसा आप कर रहे है जो आने बाली पीढ़िया सैदब याद रखेंगी और आप इस के लिए बधाई के पात्र है
१. आप बधाई के पात्र है क्यों की आप लाखो लीटर पेट्रोल और डीजल बचा पाएंगे . कुछ दिन तो पहिये थमेंगे आपके दुपहिये चार पहिये वाहनों के .इस पृथ्वी का दोहन कम होगा. कुछ तो संरक्ष्ण क्र पायेंगे हम प्रकृति प्रात्त हमारे प्राक्रतिक संसाधनों का.
२.आप बधाई के पत्र है स्वच्छ आकश की तरफ से . जी हां आपने कुछ दिनों के लिए इसे प्रदुषण और केमिकल युक्त प्रदूषित बातावरण से मुक्त क्र दिया है .
३.प्रकृति की तरफ से बधाई के पात्र है क्यों की आपने कुछ दिनों के लिए उसे छोड़ दिया की वो खुल कर सांस ले पाए और आपके दिए घावो को कुछ हद तक भर सके. दुबारा हरी भरी और ताजगी ला सके आपके पोषण के लिए
४. आप बधाई के पत्र है खुद की सेहत और सुकून के लिए. हां जो कुछ अधिक समय दे पा रहे है अपने सुकून भरी नींद के लिए. आपाधापी भाग दौड़ बाली जिन्दगी के तनिक ठहराब के लिए बधाई. और हा बधाई की आप बच पा रहे है सुबह के बिन बुलाये मेहमान की तरह आपनी जिन्दगी में दखल देने बाले उस अलार्म से.
५.आप बधाई के पत्र है अपनी फॅमिली की तरफ से की जिस तरह एक वैल्यू टाइम आप व्यतीत कर रहे अहै अपनी फॅमिली के साथ. अपने दोस्तों को फ़ोन पर घंटो बात करना,क्या कभी आपने सोचा की आप दे पायेंगे इतना समय अपने दोस्त को परिवार को,तो निकाल सकते है अपनी पूरी भड़ास,दोस्तों से घंटो बाते कीजिये,पुराने दिनों को याद कीजिये.
६ आप अपने आपको बधाई दे सकते है की अब आप आराम से देश दुनिया की ताजा खबरों को चाय की चुस्कियो के साथ इत्मीनान से रूबरू हो सकते है.
७.आपको नहीं लगता है की आप अब ज्यादा स्वच्छता और सेहत पर ध्यान देने लगे है,वो पुरानी आदते जो हमारे माता पिटा दांत दांत कर हमे सिखाते थे,जिन्हें हमने जिंदगी की भाग दौड़ में कही पीछे छोड़ दिया ,अब वापस हमारे रूटीन में आने लगी है
८. आप अब इस बात से सहमत हो गए है की किसी भी रोग का बच्हब ही सबसे बड़ा उपचार है. हमारे पुरातन काल से चली आ रही आयुर्वेद और योग पद्धतिय जो हमेशा रोग प्रतिरोधक छ्यामता बढाने और बचाव पर ज्यादा ध्यान देती है,हम उन पद्धतियों को वापस अपनाने लगे है.
९.प्रकर्ति अपने मूल स्वरुप में कितनी खुश और जीवित लगती है. अपनी बालकनी से देखो,चिडियों की चचाहत पत्तियों की सरसराहट,हवाओं की सनसनाहट कुछ ज्यादा स्पष्ट होने लगी है. लगता है जैसे प्रकृति का जीर्णोद्वार हो रहा है
१० हम कुछ ज्यादा संवेदनशील हो गए है,हमे एक दुसरे का ख्याल रखना ज्यादा आ गया है. एक दुसरे की सहायता को आतुर है,एक दुसरे का आभार व्यक्त करने में संकोच नहीं कर रहे
बहुत कुछ है जो हमे बास्तव में बधाई का पत्र बना रहा है
कहते है हर कोई अच्छी या बुरी घटना मानवता के लिए कुछ न कुछ सन्देश दे कर जाती है,बस जरूरत है तो उन संदेशो को समझने की और उन्हें आभार पूर्वक ग्रहण करने की

— डॉ. मुकेश ‘असीमित’
(लेखक, व्यंग्यकार, चिकित्सक)
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