कविता शीर्षक “चलना सच की राह” हमे कैसी भी विपरीत परिस्थितियों में सच का मार्ग नही छोड़ने की प्रेरणा देती है।
“चलना सच की राह” (कुण्डली 8चरण
चलना सच की राह पर, आज नहीं आसान,
झूठ विके झट पट यहां, सच की बंद दुकान,
सच की बंद दुकान, बजी झूठों की तूती,
झूठे सव आवाद ,बनी सव दुनियां झूठी
भाषण नेता झूठ, झूठ ये गोरख धंदे,
झूठी जग की चाल ,लगा रहे झूठे कंधे,
“प्रेमी” झूठी कामना,झूठी जग की चाह,
सरल नहिं कलयुग में,यूं चलना सच की राह।
Comments ( 0)
Join the conversation and share your thoughts
No comments yet
Be the first to share your thoughts!