Login    |    Register
Menu Close

“रस गुल्ला” हिंदी कविता

रसगुल्ला हिंदी कविता

रसगुल्ला हिंदी कविता मिठाइयो का बंगाली सरताज रसगुल्ला के ऊपर लिखी एक हंसाती गुदगुदाती कविता है ,पाठको को जरूर पसंद आएगी

“रस गुल्ला”
कुण्डली6चरण

रस गुल्ला रस से भरा,मेरा काम कमाल,
बरफ़ी पहिले हि मुझको,खांय देश के लाल।

खांय देश के लाल,कि बरफी बोली भैया,
सतरंग मेरी चाल,मिठाई की मैं मैया,

“प्रेमी”लड्डू उठा,कि होकर आग बबुल्ला,
गणपति जी का भोग,हुं मै ना कि ये रसगुल्ला।

रचियता -महादेव प्रेमी

Spread the love

1 Comment

  1. Pingback:दिल तो पागल है, दिल दीवाना है - Baat Apne Desh Ki

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *