जीवन पर प्रकाश डालिए-हास्य व्यंग्य रचना

आंखे तब ही देख पाती है जब प्रकाश हो इसका अर्थ ये है कि आंखे मंत्री है और प्रकाश उनका पी ए ।
प्रकाश जिधर दिखाता है उधर ही आंखे देखती है ।जीवन के लिए प्रकाश होना और जीवन पर प्रकाश डालना दोनों लगभग एक जैसे काम है।जीवन पर प्रकाश डालने से तो कई बार वह बातें चमकदार हो जाती है जो अंधेरे में होती हैं।
इस बात पर कोई कहानी कही जाए तो वो ऐसी होगी।
देश में नगर होते है ,सभी नगर में होता है एक नगर सेठ ।इस नगर सेठजी के पिताजी सेठ नहीं थे ।लेकिन, ये किसी  कारण बस हो गए थे ।अब हुए ही थे कि उनको लगा ,क्या सेठ भर हो जाने से कुछ होता है  ? सेठ तो इस कारण से हो हुए कि सेठ जी का धन का उन रास्तों से आता था जो कानून की किताब और जेल की अंधेरी कोठरी में जाते थे। लेकिन धन प्रकाश उस रास्ते को प्रकाशित करता था कि सेठजी उसमें कभी फंस ही नहीं पाए।सेठजी की दुकान से चौराहे के होर्डिंग दिख रहे थे।वह एक दिन सोचने लगे कि  मेरा जीवन क्या बिना होर्डिंग, बिना अखबार के विज्ञापन के बीत जाएगा ? मेरे परिवार का नाम किसी मंदिर के पत्थर पर दिखे या न दिखे चौराहे पर जरूर दिखना चाहिए।
धत ,,क्या फायदा ऐसे धन का जो किसी होर्डिंग वाले के काम न आए।
बेकार है, वह धन जो चेहरे को कई अखबारों के कोने की शोभा न बढ़ाए।
सेठजी ने ठान लिया कि वह अब इस उम्र में वही सब करेंगे जो गणमान्य नागरिक का दर्जा दिलाए। वह  समाज सेवी बनके रहेंगे।
मुनीम ने कहा सेठ जी,ये बड़ी बात नहीं है,अब समाज सेवी बनना बहुत आसान है ।उसके लिए आपको किसी की सेवा का करने की जरूरत नहीं है बस आप स्वयं के पैसे से खुद के लिए ये उपाधि प्राप्त कर सकते हो।करना क्या है ? सेठ जी ने पूछा ।मुनीम ने कहा सब जगह लिखना है समाज सेवी ,बस हो गए समाज सेवी न समाज पूछता है कि सेवा कहां है ? न सेवा पूछती है कि कौन  से समाज की करनी है ।
अब सेठजी ने कहा हम अपना जन्मदिन मनाएंगे ।जन्मदिन पर  टेंट लगाया गया माइक , माला,फोटोग्राफर सब तैयार थे ।प्रयास से लोग लाए गए। फोटोग्राफर के सामने गाय को चारा डाला गया।ये वही गाय थी जिसके रोज दुकान पर आने पर चार डंडे पड़ते थे,चूंकि आज सेठ जी जन्मदिन पर लंबी आयु का वरदान पाना चाहते थे ।इसके  लिए बीस रुपए का चारा डाला गया।
गाय ने चारा मुंह में रखा ,फिर थूक दिया । गाय भी जानती थी कि सेठ की लंबी उम्र मतलब हमारा रोज डंडे खाना ।
गाय खाए न खाए फोटो में सेठजी , गाय और चारा दिखाई दे गया, बस लग गया जुगाड समाजसेवी होने का।
इधर  सेठजी के दुकान मंच थी और माइक भी ।अब सेठ जी को महान बताने के लिए वक्ता चाहिए।संचालक ने घोषणा कर डाली सेठ जी के जीवन पर प्रकाश डालने के लिए मास्टर साहब आयेंगे
मास्टर साहब रिटायर्ड थे ,उन्होंने प्रकाश डाला “ये भरोसा ,,मतलब सेठ राम भरोसा जी के जीवन पर प्रकाश डालने के लिए मै यहां आया हूं ।
अब राम भरोसे को भरोसा तो राम पर नहीं है ,ये भरोसा बस पैसे पर करते है।इनके जीवन पर जब प्रकाश डालते है तो कई तरह की रंगीनियां निकलती है मतलब रंगीन रोशनी जीवन में थी।
मास्टर साहब ने गला खंगाला और फिर आगे बोले इनके घर इतने रोशन हुए कि इन्होंने कभी बिजली का बिल ही नहीं भरा ।इसका मतलब ये नहीं कि बिजली का नहीं थी बल्कि ये सीधे खंभे से तार जुड़े हुए थे ।ये कभी  मंदिर नहीं गए क्यों कि मंदिर की दो दुकानों पर कब्जा था ,मंदिर वाले घुसने ही नहीं देते थे।सेठ जी बहुत दयालु है,गरीबों के चिन्तक है ,उनको गरीब की सुरक्षा की चिंता रहती है ,उनके घर से गहने चोरी न चले जाएं इसलिए गरीब के जेवरात वापिस नहीं किए।
सेठजी ने इशारा किया मास्टरजी से माइक लिया।मुनीम ने कहा अब ज्यादा प्रकाश ठीक नहीं है,आप सब लोग भोजन कीजिए।
रचनाकार-प्रदीप औदिच्य गुना

Pradeep Audichya

प्रदीप औदिच्य आयु 48 वर्ष शिक्षा bsc.MA LLB. व्यवसाय वकालत…

प्रदीप औदिच्य आयु 48 वर्ष शिक्षा bsc.MA LLB. व्यवसाय वकालत पठन पाठन में स्कूल समय से रुचि व्यवस्थित लेखन वर्ष 2020 से,, व्यंग्य रचना स्वदेश समूह में नियमित कॉलम प्रारंभ लगभग 300 से अधिक व्यंग्य, स्वदेश,अमर उजाला,दैनिक ट्रिब्यून,जागरण सहित विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित,, पीपुल्स समाचार चैनल के लिए भी व्यंग्य लेखन,, पता MIG 4 housing board colony near budhe balaji mandir Guna Madhya Pradesh 473001

Comments ( 4)

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डॉ मुकेश 'असीमित'

5 months ago

धन्यवाद

Vidya Dubey

5 months ago

शानदार 👌

प्रदीप औदिच्य

5 months ago

मुकेश जी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार,,
आपके माध्यम से रचना पाठकों तक पहुंचेगी इसके लिए पुनः आभार

डॉ मुकेश 'असीमित'

5 months ago

bahut shandaar rachna..