खर्राटा संगीत
बीबी तेरे खर्राटों से
उड़ गयी हमरी नींद
याद किया भगवान को
बाजै जब संगीत।
सांस लिये तो बजे बंसरी
फिर फिर बाजै ढोल
कान ढकूं कैसे बचूं
बाजै खर्र खर्र बोल।
पलक रुप ढक्कन दिये
नयनों को सौगात
भूल गये क्यों कान को
खुले रखे रघुनाथ।

डा राम कुमार जोशी
बाड़मेर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति. जोशी जी को शुभकामनायें. 🙏