Login    |    Register
Menu Close

अंतर्द्वंद -कविता रचना -डॉ मुकेश

Antardwand -poem

अंतर्द्वंद का यह संसार, मन के विराट आकाश में, 

जहाँ चिंतन की गहराइयों में बसती है एक अनकही पीड़ा। 

मनुष्य की अनगिनत अपेक्षाएँ, समाज के मानदंडों के बीच, 

उलझती, घुलती, बिखरती, एक अनसुलझी पहेली की तरह। 

इस द्वन्द्व की गलियों में, जहाँ हर कदम पर एक नई दुविधा, 

मन के सिंहासन पर बैठा, एक अनदेखा, अनजाना भय। 

आत्मा के संवाद में गूँजती, भावनाओं की यह उथल-पुथल, 

जीवन की राहों पर चलते, खुद से ही खुद का संघर्ष। 

यहाँ हर एक निर्णय, एक अनकही कहानी का जन्म देता है, 

और हर एक चुप्पी, अनसुनी आवाजों का अथाह महासागर। 

मानव मन की यह अद्भुत यात्रा, जहाँ पीड़ा भी एक शिक्षक, 

और हर आंसू, आत्मज्ञान की ओर धकेलता एक कदम। 

अंतर्द्वंद की इस कहानी में, निहित है जीवन का सार, 

जहाँ  विनिमय मानवीय संवेदनाएँ और भावनाओं का  । 

हर भाव, हर पीड़ा, हमें ले जाती है एक नई ऊँचाई पर।  , 

खुद खड़ा , अपने ही अंतर्मन के अज्ञात द्वीप पर। 

मनुष्यता के इस दर्पण में, देखें अपना अक्स, 

और समझें, कि जीवन, केवल जीना ही नहीं, अनुभव करना भी है। 

अंतर्द्वंद की इस गली में, जहां मानव मन उलझता है, 

अपेक्षाओं का बोझ, स्वयं को तलाशता हुआ खोजता है। 

समाज के मानदंड, एक अदृश्य बेड़ी सा बन जाते हैं, 

जहां स्वप्न और यथार्थ के धरातल पर, संघर्ष निरंतर चलता है। 

दिल की गहराइयों में उमड़ता, एक शोर अनसुना, 

जहां इच्छाओं की लहरें, आत्मा के पार तूफान बुनती है । 

आत्मसात की गई हर एक  अपेक्षा, एक द्वंद्व सा आनयन जीवन में, 

जीवन के इस महासागर में, मानव मन एक एक कुशल नाविक । 

दूसरों की नज़रों में अपनी पहचान का संकट, 

जहां स्वीकृति और अस्वीकृति के मध्य, हर व्यक्ति है अटका हुआ । 

स्वयं को खोजने की इस यात्रा में, हर कदम पर एक नया मोड़, 

जीवन की इस चदरिया में, हर रंग कुछ कहता हुआ । 

अंतर्द्वंद का यह ताना-बाना, मानवीय संवेदनाओं का केंद्र, 

जहां दुविधा और निर्णय की डोर, जीवन के हर पहलू को बांधती । 

समाज की अपेक्षाओं के बीच, स्वयं की पहचान की खोज में, 

मानव मन की यह यात्रा, एक अनंत अविराम प्रस्थान की ओर । 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *