The Poor Man Surrounded by Questions

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 12, 2025 English-Write Ups 1

A man’s life is a cycle of questions—“Did you eat?”, “How’s the job?”, “Do you love me?”—and no answer ever sets him free.

बाबा बर्फानी की वो अद्भुत यात्रा.-भाग द्वितीय

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 11, 2025 Travel 5

यात्रा संस्मरण में लेखक ने अमरनाथ यात्रा के अनुभव को व्यंग्य, यथार्थ और करुणा के त्रिकोण में पिरोया है। हेलिकॉप्टर टिकट से लेकर खच्चर की पीठ तक, और फिर पालकी से 500 सीढ़ियों तक की इस यात्रा में न केवल शरीर की थकान है, बल्कि मन के द्वंद्व भी हैं। दर्शन की लालसा, टपकती टेंट, टूटती कोहनी, और बाबा बर्फानी की एक झलक—सब कुछ मानो एक दर्शनशास्त्र बन जाता है। अंत में लेखक का वाक्य “बाबा जिसे बुलाते हैं, वही जाता है” इस पूरे अनुभव को आध्यात्मिक रूप में समेट देता है।

बाबा बर्फानी की वो अद्भुत यात्रा-भाग प्रथम

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 11, 2025 Travel 4

इस व्यंग्यात्मक यात्रा संस्मरण में लेखक ने अमरनाथ यात्रा के अनुभव को व्यंग्य, यथार्थ और करुणा के त्रिकोण में पिरोया है। हेलिकॉप्टर टिकट से लेकर खच्चर की पीठ तक, और फिर पालकी से 500 सीढ़ियों तक की इस यात्रा में न केवल शरीर की थकान है, बल्कि मन के द्वंद्व भी हैं। दर्शन की लालसा, टपकती टेंट, टूटती कोहनी, और बाबा बर्फानी की एक झलक—सब कुछ मानो एक दर्शनशास्त्र बन जाता है। अंत में लेखक का वाक्य “बाबा जिसे बुलाते हैं, वही जाता है” इस पूरे अनुभव को आध्यात्मिक रूप में समेट देता है।

गुरु गुड ही रहे चेला चीनी हो गए-हास्य-व्यंग्य

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 10, 2025 व्यंग रचनाएं 2

गुरु अब ज्ञान के प्रतीक नहीं, शॉर्टकट और टिप्स देने वाले बाज़ारू ब्रांड बन चुके हैं। चेला बनना खतरे से खाली नहीं, क्योंकि हर चेला गुरु बनने की फिराक में है। गुरु-शिष्य परंपरा अब कोर्ट-कचहरी, दलाली, और सट्टे की दुनिया में ‘गुरु मंत्र’ से ज़्यादा ‘टिप्स मंत्र’ में बदल चुकी है।

गिरने में क्या हर्ज़ है-पुस्तक समीक्षा व्यंग्यकार अर्चना चतुर्वेदी द्वारा

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 9, 2025 Book Review 1

‘गिरने में क्या हर्ज है’ डाक्टर मुकेश ‘असीमित’ जी का पहला व्यंग्य संग्रह है । पहले संग्रह के हिसाब से देखा जाए तो डॉक्टर साब व्यंग्य में नए हैं पर इनकी रचनाएं काफी परिपक्व हैं । भाषा की बात हो या शिल्प की या विषय की डॉक्टर साब मंझे हुए व्यंग्यकार ही महसूस होंगें । […]

अब ए.आई. भी ‘आई’ बन सकती है!-हास्य व्यंग्य

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 8, 2025 व्यंग रचनाएं 4

ए.आई. अब सिर्फ इंटेलिजेंस नहीं, अब वह 'आई' भी है! तकनीक की इस नई छलांग में अब प्रेम, गर्भ और पालन-पोषण भी कोडिंग से संभव है। रोबोट अब लैब में पालना झुला रहे हैं और इंसान हैरत से देख रहे हैं — यह भविष्य है या व्यंग्य! इस लेख में तकनीक और परवरिश का अद्भुत संगम दिखाई देता है — मानो ‘माँ’ अब मशीन बन गई हो।

काव्य संग्रह समीक्षा-तुम मेरे अज़ीज़ हो-डॉ मुकेश असीमित द्वारा

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 8, 2025 Book Review 4

"तुम मेरे अज़ीज़ हो" सिर्फ प्रेम का नहीं, आत्म-संवाद, स्मृति और मौन की यात्रा है। पंकज त्रिवेदी की सरल भाषा में छिपे गहन भाव, प्रेम को एक दार्शनिक और अनुभूतिपरक अनुभव में बदल देते हैं। यह संग्रह पढ़ने नहीं, भीतर महसूस करने के लिए है।

वाह भाई वाह -कविता -हास्य व्यंग्य

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 7, 2025 Hindi poems 0

सामाजिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती ये कविता ‘वाह भाई वाह’ हमें उन विसंगतियों का एहसास कराती है जहाँ ज़िंदगी त्रासदी बन चुकी है, फिर भी आमजन तमाशबीन बना बैठा है। गड्ढों, महंगाई, रिश्तों की दूरी और शिक्षा की मार के बीच भी मुस्कुराता देश – ‘वाह भाई वाह’!

अमरूद की अमर कथा

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 6, 2025 व्यंग रचनाएं 1

इस व्यंग्य चित्रण में एक हाई-फाई कॉलोनी की किट्टी पार्टी में एक अधिकारी की पत्नी, बाढ़ प्रभावित गांवों की त्रासदी को पर्यटन अनुभव की तरह प्रस्तुत करती है। महिलाएं फोटो देखकर वाह-वाह करती हैं — किसी के डूबते मवेशी, किसी माँ का छत पर रोता चेहरा भी ‘सीन’ बन जाता है। यह रचना सामाजिक संवेदनहीनता और आधुनिक तमाशाई मानसिकता पर करारा कटाक्ष है।

बाढ़ पर्यटन — जब त्रासदी तमाशा बन जाए! व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Jul 6, 2025 व्यंग रचनाएं 1

बाढ़ सिर्फ पानी नहीं लाती, संवेदनहीनता की परतें भी उघाड़ती है। "बाढ़ पर्यटन" एक ऐसी ही कड़वी सच्चाई को उजागर करती है जहाँ किट्टी पार्टी की महिलाएं बाढ़ को तमाशा मान बैठती हैं। अफसरशाही, मीडिया, सोशल मीडिया फॉलोअर्स और सजी-धजी संवेदनहीनता — सब मिलकर बना रहे हैं एक अमानवीय हास्यप्रद दृश्य। हँसी की आड़ में छुपी करुणा की चीख यहाँ साफ सुनाई देती है।