“एक आंधी आई” और उड़ा ले गई गरीबों के चिथडे छप्पर कल तक जो थे नींव उद्योगों की आज बने राहों के कंकड़ । …
तेरे आगे खड़े, करबद्ध खड़े तेरी मानव जाति कोरोना से डरें अब इस भंवर से निकालो शम्भु कहीं भंवर ये ,सभी को न लें डूबे।…
पिता की मृत्यु के बाद कैंसर पीड़ित मां का इलाज और छोटी बहन की देख रेख की जिम्मेदारी किशोर के किशोर कंधो पर आ पड़ी।…
ऊंचे महल चौबारों से कोई ये पूछेकि कितने नींव के पत्थरनीचे दबे पड़े हैंओहदा ओ रूतबा पाने वालों से पूछोकि कितने यहां तक…
सुनीता शर्मा द्वारा रचित कविता मेरे पापा fathers डे पर समर्पित सभी proud fathers के लिए
“यलगार” हिंदी कविता सुनीता शर्मा द्वारा रचित. अपने विचार काव्य लेखन प्रकाशन के लिए बात अपने देश की पर संपर्क करे
डाॅक्टर, नर्स, सफाईकर्मी, पुलिस या चाहे हो वो पत्रकार विपत्ति की विकट घड़ी में लगते स्वयं ईश्वर का अवतार स्वहित त्याग कर लोकहित के…
रातें क्यूं है सोई सोई दिन की धूप भी है खोई खोई क्या हुआ ये , कैसा है मंजर हाथों से छूटा, मानव का…