Sunita Sharma
May 18, 2021
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“एक आंधी आई” और उड़ा ले गई गरीबों के चिथडे छप्पर कल तक जो थे नींव उद्योगों की आज बने राहों के कंकड़ । जिनके कारण थे महल चौबारे और जिनसे चलते थे कल कारखाने आज उनकी हालत तो देखो मोहताज हुए वो दाने-दाने । क्या यहीं है मानवता कहाँ गया वो दीन […]
Sunita Sharma
May 4, 2021
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तेरे आगे खड़े, करबद्ध खड़े तेरी मानव जाति कोरोना से डरें अब इस भंवर से निकालो शम्भु कहीं भंवर ये ,सभी को न लें डूबे। कैसा मायावी आया ये प्रभु बिना दिखे ही लोगों को आ निगले छूने से शरीर में प्रवेश करें सांसों को जकड़ कर प्राण हरे। मानव जाति थर्राई है एक तुझसे […]
Sunita Sharma
May 4, 2021
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पिता की मृत्यु के बाद कैंसर पीड़ित मां का इलाज और छोटी बहन की देख रेख की जिम्मेदारी किशोर के किशोर कंधो पर आ पड़ी। बेचारा किशोर अचानक आई इस जिम्मेदारी से घबरा गया और सोचने लगा अब मेरी पढ़ाई का क्या होगा कैसे घर की जिम्मेदारी निभाऊंगा, अब सब खत्म हो गया और वह […]
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Sunita Sharma
May 4, 2021
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ऊंचे महल चौबारों से कोई ये पूछेकि कितने नींव के पत्थरनीचे दबे पड़े हैंओहदा ओ रूतबा पाने वालों से पूछोकि कितने यहां तक लाने के लिएसाथ खड़े हैंगुरूर और हिकारत से न देखना इनको कभीकि इमारत ढहाने के लिएनींव का एक पत्थर ही काफी है ।
Sunita Sharma
Jun 20, 2020
Hindi poems
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सुनीता शर्मा द्वारा रचित कविता मेरे पापा fathers डे पर समर्पित सभी proud fathers के लिए
Sunita Sharma
Jun 1, 2020
Hindi poems
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"यलगार" हिंदी कविता सुनीता शर्मा द्वारा रचित. अपने विचार काव्य लेखन प्रकाशन के लिए बात अपने देश की पर संपर्क करे
Sunita Sharma
May 20, 2020
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डाॅक्टर, नर्स, सफाईकर्मी, पुलिस या चाहे हो वो पत्रकार विपत्ति की विकट घड़ी में लगते स्वयं ईश्वर का अवतार स्वहित त्याग कर लोकहित के लिए जिन्होंने त्यागा अपना घर-बार उन्हीं में ढूंढो उसको, जिसके लिए तुम जाते मन्दिर मस्जिद या गुरुद्वार शत शत नमन भी कम पड़ते हैं ये मानवता के सच्चे कर्णधार […]
Sunita Sharma
May 20, 2020
Poems
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रातें क्यूं है सोई सोई दिन की धूप भी है खोई खोई क्या हुआ ये , कैसा है मंजर हाथों से छूटा, मानव का खंजर इस खंजर से वो, प्रकृति को नोचता था स्वार्थ में हो अन्धा, कुछ न सोचता था पक्षी उन्मुक्त हो, कैसे चहचहाए हवाएं भी सुगन्धित होकर गुनगुनाएं […]