“बचपन” (कुण्डली8चरण)
बचपन आप सम्हालिए ,देकर प्रेम दुलार,
नीति नियम संस्कार दे,बन के दक्ष कुम्हार,
बन के दक्ष कुम्हार,जैसे मिट्टी को ढाले,
घुमा चाक पर कूट,पीट अग्नि में डाले,
ऐसे हर परिवार,बाल बच्चों को पालो,
दे संस्कार उदार,नेक जीवन में ढालों,
“प्रेमी”इतना करो,लगे उनको अपनापन,
मात पिता गुरु शिक्षा,दें तब सुधरे बचपन।
रचियता -महादेव प्रेमी
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