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Category: व्यंग रचनाएं

एक साहित्यकार ट्रॉफी पकड़े संकोच में मुस्कुराते हुए, पीछे अलमारी में चमचमाता पुरुष्कार रखा है, सामने बब्बन चाचा तिरछी नजरों से पूछते—कहाँ से जुगाड़ किया?"

पुरुष्कार का दर्शन शास्त्र

पुरस्कारों की चमक साहित्यकारों को अक्सर पितृसत्ता की टोपी पहना देती है। ये ‘गुप्त रोग’ बनकर छिपाया भी जाता है और पाया भी जाता है,…

एक युवक मोबाइल में मग्न होकर "हैप्पी मदर्स डे" लिखी सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, उसके पीछे माँ रसोई में पसीने से तर-बतर होकर चूल्हे पर रोटी सेंक रही है। उसके माथे पर हल्की थकान, पर चेहरे पर वही स्थायी मुस्कान। युवक की पोस्ट पर मोबाइल स्क्रीन से '999 लाइक्स' के बबल्स उछल रहे हैं, और पास ही माँ बड़बड़ा रही है – "फेसबुक से पेट भरता है क्या?" दीवार पर एक कैलेंडर टंगा है, जिसमें हर दिन 'मदर्स डे' लिखा है — बस तारीख़ बदलती है। बाजार में एक बड़ा बैनर लटक रहा है — "Buy 1 Get 1 Free – Emotionally Packaged Mother’s Day Gifts!" पीछे टीवी पर ऐंकर चिल्ला रहा है — “Emotional Sale का आखिरी दिन!”

मदर्स डे –एक दिन की चांदनी फिर अँधेरी…

एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक…

मूषक महाराज स्तुति

Mooshak Maharaaj Stuti -मूषक महाराज स्तुति

आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर विध्नहर्ता गणेश जी की स्तुति तो सभी करते ही हैं,उनके वाहन मूषकराज की भी स्तुति अत्यावश्यक है ! एक……

depicting the scene described in your content. This illustration captures various elements from a bustling Indian street, highlighting the humorous and exaggerated aspects of daily interactions and societal observations.

“मजे की राजनीति: भारतीय जीवन का मस्ती भरा दर्शन”

भारतीय आम आदमी की दुनिया एक ऐसी मस्तखोर रंगीन मिजाजी दुनिया है, जहां हर काम में मस्ती और मौज का तड़का लगना अनिवार्य है। हैप्पीनेस……

landlord and a tenant in a heated argument over various issues with the house. The exaggerated expressions and chaotic background elements highlight the comical situation perfectly.

मकान मालिक की व्यथा –व्यंग रचना

किराए के लिए उन्हें फोन करता हूँ तो पता लगता है, वो बहुत दुखी हो गए हैं, उनकी सात पुश्तों में भी कभी किसी ने……

**पड़ोसियों को प्यार करो – व्यंग्य रचना**

बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी की लोकोक्तियाँ और मुहावरों को रटते आए हैं, लेकिन कभी उनके गूढ़ार्थ पर दिमाग नहीं लगाया। वैसे भी, तब……

young Indian doctor, wearing a white apron and a stethoscope around his neck, meeting with an overly enthusiastic pharmaceutical representative. The scene captures their amusing interaction in a simple doctor's office setting.

दवा प्रतिनिधि से मुलाकात –

चैम्बर में अपनी एकमात्र कुर्सी पर धंसा ही था कि एक धीमी आवाज आई, “में आई कम इन सर ?” नजरें उठाकर देखा तो आगन्तुक……

मेरा लोकतंत्र महान -व्यंग रचना

हे प्रजातंत्र के प्रहरीगण, लोक तंत्र के इस विशाल नाटक का पटाक्षेप हो गया है. नाटक जहाँ झूठे वायदों की दुंदभी के आगे सच्चे संकल्प……

irony of discussing environmental issues in comfortable settings while outside, the harsh realities of environmental degradation are evident. You can view and analyze the image to see how the two scenes are juxtaposed against each other, highlighting the disparity between them.

*नेताजी का पर्यावरण दिवस आयोजन *

नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो……

four pillars of Indian democracy—Judiciary, Legislature, Executive, and Journalism—as items for sale in an Indian market scene. Each pillar is humorously represented by individuals in roles pertinent to their sectors, all standing behind stalls marked 'For Sale'.

‘मुझे भी बिकना है ‘-व्यंग रचना

शास्त्रीय संगीतकार च्यवनप्राश के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं, कला का भी बाजार लग गया है। जब कला का मूल्य लग सकता है, तो……