गालियों का बाज़ार डॉ मुकेश 'असीमित' May 22, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “गालियों का बाज़ार” नामक उस लोकतांत्रिक तमाशे का प्रतीक है जहाँ भाषाई स्वतंत्रता के नाम पर अपशब्दों की होड़ है। हर कोई वक्ता है, हर… Spread the love
पुरुष्कार का दर्शन शास्त्र डॉ मुकेश 'असीमित' May 13, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments पुरस्कारों की चमक साहित्यकारों को अक्सर पितृसत्ता की टोपी पहना देती है। ये ‘गुप्त रोग’ बनकर छिपाया भी जाता है और पाया भी जाता है,… Spread the love
मदर्स डे –एक दिन की चांदनी फिर अँधेरी… डॉ मुकेश 'असीमित' May 11, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक… Spread the love
“Roses and Thorns” : मेरी एक नई तीखी-मीठी उड़ान! डॉ मुकेश 'असीमित' April 27, 2025 Blogs 0 Comments Roses and Thorns – a satire bouquet straight from the OT (Operation Theatre) of an orthopedic doctor turned wordsmith. No enlightenment. No “6-pack abs” philosophy.… Spread the love
साल की विदाई: क्या भूलूं, क्या याद करूं? डॉ मुकेश 'असीमित' December 31, 2024 Blogs 0 Comments यह वर्ष अपने अंतिम पायदान पर है, और हम सब एक नई छलांग लगाने की तैयारी में हैं। कल एक नया सवेरा, नया साल, और… Spread the love
Mooshak Maharaaj Stuti -मूषक महाराज स्तुति डॉ मुकेश 'असीमित' September 7, 2024 हिंदी लेख 0 Comments आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर विध्नहर्ता गणेश जी की स्तुति तो सभी करते ही हैं,उनके वाहन मूषकराज की भी स्तुति अत्यावश्यक है ! एक… Spread the love
“मजे की राजनीति: भारतीय जीवन का मस्ती भरा दर्शन” डॉ मुकेश 'असीमित' June 14, 2024 हिंदी लेख 2 Comments भारतीय आम आदमी की ज़िंदगी में काम नहीं, मज़ा ज़रूरी है। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स उसे नहीं समझ पाया — लेकिन वो तो मस्ती के लिए… Spread the love
“कोचिंग की कक्षाओं में क़ैद कच्चे ख्वाब: आधुनिक शिक्षा का अक्स” डॉ मुकेश 'असीमित' June 13, 2024 हिंदी लेख 4 Comments आजकल सोशल मीडिया पर रिजल्टों की मार्कशीटों की बरसात हो रही है, हर बच्चे के नब्बे प्रतिशत से कम अंक नहीं दिख रहे । माना… Spread the love
मकान मालिक की व्यथा –व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 12, 2024 व्यंग रचनाएं 7 Comments किराए के लिए उन्हें फोन करता हूँ तो पता लगता है, वो बहुत दुखी हो गए हैं, उनकी सात पुश्तों में भी कभी किसी ने… Spread the love
**पड़ोसियों को प्यार करो – व्यंग्य रचना** डॉ मुकेश 'असीमित' June 9, 2024 हिंदी लेख 0 Comments बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी की लोकोक्तियाँ और मुहावरों को रटते आए हैं, लेकिन कभी उनके गूढ़ार्थ पर दिमाग नहीं लगाया। वैसे भी, तब… Spread the love