मेरी बे-टिकट रेल यात्रा-यात्रा संस्मरण डॉ मुकेश 'असीमित' July 14, 2025 संस्मरण 2 Comments हॉस्टल की ‘थ्रिल भरी’ दुनिया से निकली एक रोमांचक रेल यात्रा की कहानी, जहाँ एक मेडिकल छात्र पुरानी आदतों के नशे में बिना टिकट कोटा… Spread the love
व्यंग्य चिंतन में मुंगेरीलाल Prahalad Shrimali July 13, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment मुंगेरीलाल केवल एक चरित्र नहीं, हर आम आदमी की अंतरात्मा है जो कठिन यथार्थ के बीच भी सुनहरे सपने देखता है। वह न पाखंडी है,… Spread the love
Numbers Speak, You See! डॉ मुकेश 'असीमित' July 12, 2025 Satire 0 Comments Numbers don’t lie—unless they’re told to! Donated blood once—now in a report, I donated four times! Chitragupta did it for dharma, NGOs do it for… Spread the love
The Poor Man Surrounded by Questions डॉ मुकेश 'असीमित' July 12, 2025 Satire 1 Comment A man’s life is a cycle of questions—“Did you eat?”, “How’s the job?”, “Do you love me?”—and no answer ever sets him free. Spread the love
गुरु गुड ही रहे चेला चीनी हो गए-हास्य-व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 10, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments गुरु अब ज्ञान के प्रतीक नहीं, शॉर्टकट और टिप्स देने वाले बाज़ारू ब्रांड बन चुके हैं। चेला बनना खतरे से खाली नहीं, क्योंकि हर चेला… Spread the love
देव सो रहे हैं और आम आदमी पिट रहा है….? व्यंग्य Sunil Jain Rahee July 8, 2025 व्यंग रचनाएं 5 Comments जब देव सोते हैं तो देश की नींव भी ऊंघने लगती है। जनता, बाबू, साहब और चपरासी सब अपनी-अपनी तरह से नींद का महिमामंडन करते… Spread the love
अब ए.आई. भी ‘आई’ बन सकती है!-हास्य व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 8, 2025 व्यंग रचनाएं 4 Comments ए.आई. अब सिर्फ इंटेलिजेंस नहीं, अब वह ‘आई’ भी है! तकनीक की इस नई छलांग में अब प्रेम, गर्भ और पालन-पोषण भी कोडिंग से संभव… Spread the love
ये फिक्रमंद लोग-हास्य व्यंग्य Sanjaya Agrawal 'Mradul' July 6, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment यह रचना आज के ‘व्हाट्सएप्प ज्ञानियों’ पर करारा व्यंग्य है, जो ब्रह्म मुहूर्त में ही टॉयलेट से लेकर तहज़ीब तक ज्ञान बाँटने निकल पड़ते हैं।… Spread the love
अमरूद की अमर कथा डॉ मुकेश 'असीमित' July 6, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment इस व्यंग्य चित्रण में एक हाई-फाई कॉलोनी की किट्टी पार्टी में एक अधिकारी की पत्नी, बाढ़ प्रभावित गांवों की त्रासदी को पर्यटन अनुभव की तरह… Spread the love
बाढ़ पर्यटन — जब त्रासदी तमाशा बन जाए! व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 6, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment बाढ़ सिर्फ पानी नहीं लाती, संवेदनहीनता की परतें भी उघाड़ती है। “बाढ़ पर्यटन” एक ऐसी ही कड़वी सच्चाई को उजागर करती है जहाँ किट्टी पार्टी… Spread the love