धुनियाः ओटन लगे कपास -लेख डॉ एस जी काबरा “

Dr Shree Gopal Kabra Jul 24, 2021 Blogs 0

लेखक ने अपने बचपन की यादो के धागों में पिरोये गये मोतियों में से एक मोती बरबस एक सहज और सुलभ भाषा में उपलब्ध किया है,कैसे एक धुनकी कपास और कबीर धुन की मीठी संगत नइ लेखक के मन को तो पुराणी यादो की मीठी स्मृति से रोमांचित किया ही है,बरबस हमे भी अंतर्मन को छू लेने बाली एक ठंडी सी हवा का झोंका कही दे कर गया है ऐसे ही लेख कविताये हिंदी और अंग्रेजी में पढने के लिए आज ही विजिट करे बात अपने देश की

Laadu-लाडू कविता हिंदी में

Mahadev Prashad Premi Jul 22, 2021 हिंदी लेख 0

लाडू -कुंडली ६ चरण लाडू बोला गोल हु,जायके में आनंद रस से भरी जलेबिया,या खाओ कलाकंद खाओ कलाकंद की अब रसगुल्ले भी खाओ बर्फी,खीरमोहन ,इमरती चमचम भी लाओ “प्रेमी” काला जाम ,खाय है मेरा साढू साढू जैसा प्यारा सा रिश्ता लागे लाडू

जीवन रक्षक स्तनपान-Life saving Breast Feeding

Dr Shree Gopal Kabra Jul 22, 2021 Health And Hospitals 0

जीवन रक्षक स्तनपानःनए जन्मे बच्चे में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती। वातावरण में व्याप्त विषाणुओं के सम्पर्क में आने पर ही हर विशिष्ट रोगाणु और विषाणु के लिए बालक का रक्षा संस्थान प्रतिरोधात्मक शक्ति हासिल करेगा। जब तक यह हो तब तक आवश्यक है कि ये प्रतिरोधात्मक तत्त्व शिशु को माता से मिलंे। ये माता के दूध से मिलते हैं और बालक के नाज़ुक प्रारम्भिक जीवन में उसकी रक्षा करते हैं

मातृत्व का आधार – संसार का संचालन -The basis of motherhood – the running of the world

Dr Shree Gopal Kabra Jun 11, 2021 Blogs 0

स्त्रीत्व, नारीत्व और मातृत्व का संचालन केन्द्र - डिम्बग्रन्थि है? -कि स्त्रीत्व का व्यक्त रूप होता है, रोएं विहीन कोमल त्वचा, आकर्षक शरीर सौष्ठव, स्तन और नितम्ब, प्रजनन-सृजन की इच्छा, आतुरता, और ममत्व एवम् वात्सल्य के कोमल भावों की प्रकृति व प्रवृत्ति। स्त्रीत्व की इस नैसर्गिक और भावनात्मक अभिव्यक्ति की प्रेरणा, संचालन और संवर्द्धन का केन्द्र होती है डिम्बग्रन्थि।

घातक और अघातक रोगो का विज्ञान

Dr Shree Gopal Kabra Jun 2, 2021 Blogs 0

जैविक संसार में कुछ भी शत प्रतिशत सत्य नहीं होता और न ही कोई सच शास्वतघातक रोग व व अघातक जीवन प्रभावी रोगडॉ. श्रीगोपाल काबरास्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले रोगों की दो प्रमुख श्रेणियां होती हैं – घातक, जो शुरू से ही घातक प्रकृति के होते हैं। अल्पकाल में मृत्यु की संभावना लिए। अघातक जो […]

चिकित्सा के अयाम-Clinical Dimension -Dr S. G . Kabra

Dr Shree Gopal Kabra May 29, 2021 Health And Hospitals 0

आदिकाल से चिकित्सक, रोग और व्यधियों का व्याख्यात्मक स्पष्ठिकरण देने को सतत चेष्ठारत रहे हैं। रोग स्पष्ठिकरण की ऐसी परिकल्पना (थ्योरी) जिसे व्यापक मान्यता मिले। यह उनके चिन्तन का प्रमुख विषय रहा है। आदिक्रम से देखें तो कभी भूत-प्रेत और दुष्ट आत्मोओं को रोग और व्याधियों का कारक माना जाता था और उनसे निवारण, चिकित्सा। […]

हाइपोथीसिस – परिकल्पना कैंसर क्यों होता है। Hypothesis about Cancer

Dr Shree Gopal Kabra May 26, 2021 Blogs 0

ह्यूमर हाइपोथीसिस – आंतरिक द्रव-विकार परिकल्पना। हिप्पोक्रेटस की आदि काल की शरीर के अंदर 4 द्रव की परिकल्पना को, पांच शताब्दि बाद, ग्रीक चिकित्सक गेलेन ने प्रतिपादित किया। गेलेन ने इन्हे कार्डिनल फ्लूइड्स – मुख्य आधार- द्रव की संज्ञा दी। इस परिकल्पना के अनुसार शरीर में 4 द्रव लाल, सफेद, पीला, और काला होते थे। […]

कोशिकाओं में आत्मघात व संथारा-lYSOSOME -SUICIDAL BAGS

Dr Shree Gopal Kabra May 26, 2021 Blogs 0

भ्रूण के सृजन काल में जब अंगों का विकास हो रहा होता है तब चयनित कोशिकाओं का अंग में समायोजन, और शेष का संथारा कर विलुप्त होना एक सतत प्रक्रिया है। अंगों में समायोजित न हुई कोशिकाएं अपनी उपादेयता चुक जाने पर संथारा द्वारा अपना जीवन त्याग कर अवशोषित हो जाती हैं। हथेली में अलग अलग ऊंगलियां बनती हैं क्यों कि उनके बीच की कोशिकाएं संथारा कर विलुप्त हो जाती हैं। ऐसे ही कुछ आश्चर्यजनक तत्थ्य जानिये डॉ एस जी काबरा के लेख में ,कोशिका की आत्मघाती थैली lysosome के बारे में

Discover the Purpose of Life-How to Live a meaningful life

डॉ मुकेश 'असीमित' May 23, 2021 Blogs 1

A person feels happier, more content and successful when he lives his life with a purpose. Purpose makes life more meaningful, keeping us motivated to do something that makes us happy and inspired every day and that passion alive in us!