किराएदार की व्यथा: एक हास्य-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 16, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments इस रचना में किराएदार की ज़िंदगी की उन अनकही व्यथाओं को हास्य और व्यंग्य के लहज़े में उजागर किया गया है, जिन्हें हम सभी कभी… Spread the love
क्रौंच पक्षी और वाल्मीकि: संवेदना से जन्मा साहित्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 16, 2025 हिंदी लेख 2 Comments महर्षि वाल्मीकि और क्रौंच पक्षी का ऐतिहासिक प्रसंग संस्कृत साहित्य में भावनात्मक संवेदना का महत्व कालिदास की काव्य कृतियों का मूल्य और समकालीन साहित्य साहित्य… Spread the love
बाढ़ में डूबकर भी कैसे तरें-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 15, 2025 व्यंग रचनाएं 6 Comments बाढ़ आई नहीं कि सरकारी महकमें ‘आपदा प्रबंधन’ में ऐसे सक्रिय हो गए जैसे ‘मनौती’ पूरी हो गई हो। नदी उफनी नहीं कि पोस्टर लग… Spread the love
जीवन पर प्रकाश डालिए-हास्य व्यंग्य रचना Pradeep Audichya July 14, 2025 व्यंग रचनाएं 4 Comments सेठजी को अब ‘सेठ’ होने से संतोष नहीं, उन्हें ‘समाजसेवी’ भी बनना है—वो भी बिना समाज की सेवा किए! अखबार, होर्डिंग, माला और माइक की… Spread the love
मेरी बे-टिकट रेल यात्रा-यात्रा संस्मरण डॉ मुकेश 'असीमित' July 14, 2025 संस्मरण 2 Comments हॉस्टल की ‘थ्रिल भरी’ दुनिया से निकली एक रोमांचक रेल यात्रा की कहानी, जहाँ एक मेडिकल छात्र पुरानी आदतों के नशे में बिना टिकट कोटा… Spread the love
व्यंग्य चिंतन में मुंगेरीलाल Prahalad Shrimali July 13, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment मुंगेरीलाल केवल एक चरित्र नहीं, हर आम आदमी की अंतरात्मा है जो कठिन यथार्थ के बीच भी सुनहरे सपने देखता है। वह न पाखंडी है,… Spread the love
गुरु गुड ही रहे चेला चीनी हो गए-हास्य-व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 10, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments गुरु अब ज्ञान के प्रतीक नहीं, शॉर्टकट और टिप्स देने वाले बाज़ारू ब्रांड बन चुके हैं। चेला बनना खतरे से खाली नहीं, क्योंकि हर चेला… Spread the love
देव सो रहे हैं और आम आदमी पिट रहा है….? व्यंग्य Sunil Jain Rahee July 8, 2025 व्यंग रचनाएं 5 Comments जब देव सोते हैं तो देश की नींव भी ऊंघने लगती है। जनता, बाबू, साहब और चपरासी सब अपनी-अपनी तरह से नींद का महिमामंडन करते… Spread the love
अब ए.आई. भी ‘आई’ बन सकती है!-हास्य व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 8, 2025 व्यंग रचनाएं 4 Comments ए.आई. अब सिर्फ इंटेलिजेंस नहीं, अब वह ‘आई’ भी है! तकनीक की इस नई छलांग में अब प्रेम, गर्भ और पालन-पोषण भी कोडिंग से संभव… Spread the love
ये फिक्रमंद लोग-हास्य व्यंग्य Sanjaya Agrawal 'Mradul' July 6, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment यह रचना आज के ‘व्हाट्सएप्प ज्ञानियों’ पर करारा व्यंग्य है, जो ब्रह्म मुहूर्त में ही टॉयलेट से लेकर तहज़ीब तक ज्ञान बाँटने निकल पड़ते हैं।… Spread the love