हैप्पी डॉक्टर्स डे – व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments डॉक्टर्स डे के दिन एक पत्रकार ‘VIP एंट्री’ की जिद पर अड़ा था। डॉक्टर की शोकेस डिग्रियों से भरी थी लेकिन वह ‘चंदा देकर सम्मानित’… Spread the love
बरसात में झीगुरों की आमसभा-हास्य-व्यंग्य Pradeep Audichya June 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments बारिश की रात झींगुरों की आवाज़ को कभी ध्यान से सुनिए – वो बस टर्राहट नहीं, एक आंदोलन की गूंज है। वे मंच पर अधिकारों… Spread the love
जब आप लड़की देखने जाए श्रीमान तो इन पांच बातों का रखें विशेष ध्यान Mukesh Rathor June 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments रोटी, कपड़ा, मकान के बाद अब नौकरी और छोकरी युवा की प्रमुख आवश्यकताएं बन गई हैं। लड़की देखने जाना शादी से पहले की सबसे बड़ी… Spread the love
कैपविहीन कलम का करुण क्रंदन डॉ मुकेश 'असीमित' June 27, 2025 Blogs 7 Comments डॉक्टर साहब की जिंदगी पेन की कैप पर अटक गई है। कभी स्टाफ फेंक देता है, कभी चूहा चुरा लेता है! कैपविहीन पेन की स्याही… Spread the love
अड़े रहो सखियों— ये जिंदगी तो ना मिलेगी दोबारा— Sushma Vyas June 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments श्रीमती बिंदिया ढहया लेखिका बनने के बाद अब “एडमिन” बनने पर अड़ी हैं — फेसबुक पेज, लाइव कार्यक्रम, महिला मंच… सब कुछ चाहिए उन्हें! बेटा… Spread the love
काश मैं सामग्री विभाग का प्रमुख होता-डॉ शैलेश Dr Shailesh Shukla June 24, 2025 Blogs 0 Comments जब हम छोटे थे तो समझते थे कि सबसे ताकतवर लोग पुलिसवाले होते हैं, फिर बड़े हुए तो लगा कि मंत्री सबसे ताकतवर होते हैं।… Spread the love
डॉक्टर साहब, आप तो भगवान हैं। डॉ मुकेश 'असीमित' June 22, 2025 Blogs 0 Comments तुम भगवान हो, तो गलती नहीं कर सकते — क्योंकि इंसान की तो गलती माफ़ होती है। अब जब भगवान बना दिया है, तो ये… Spread the love
मेडिकल का आँचलिक भाषा साहित्य – बिंब, अलंकारों, प्रतीकों से भरपूर डॉ मुकेश 'असीमित' June 8, 2025 Blogs 1 Comment “डॉक्टर साहब, आपकी पढ़ाई अपनी जगह… हम तो इसे ‘नस जाना’ ही मानेंगे!” ग्रामीण चिकित्सा संवादों में हर लक्षण का एक लोकनाम है — ‘चक… Spread the love
गालियों का बाज़ार डॉ मुकेश 'असीमित' May 22, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “गालियों का बाज़ार” नामक उस लोकतांत्रिक तमाशे का प्रतीक है जहाँ भाषाई स्वतंत्रता के नाम पर अपशब्दों की होड़ है। हर कोई वक्ता है, हर… Spread the love
पुरुष्कार का दर्शन शास्त्र डॉ मुकेश 'असीमित' May 13, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments पुरस्कारों की चमक साहित्यकारों को अक्सर पितृसत्ता की टोपी पहना देती है। ये ‘गुप्त रोग’ बनकर छिपाया भी जाता है और पाया भी जाता है,… Spread the love