“मजे की राजनीति: भारतीय जीवन का मस्ती भरा दर्शन” डॉ मुकेश 'असीमित' June 14, 2024 हिंदी लेख 2 Comments भारतीय आम आदमी की ज़िंदगी में काम नहीं, मज़ा ज़रूरी है। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स उसे नहीं समझ पाया — लेकिन वो तो मस्ती के लिए… Spread the love
मकान मालिक की व्यथा –व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 12, 2024 व्यंग रचनाएं 1 Comment किराए के लिए उन्हें फोन करता हूँ तो पता लगता है, वो बहुत दुखी हो गए हैं, उनकी सात पुश्तों में भी कभी किसी ने… Spread the love
**पड़ोसियों को प्यार करो – व्यंग्य रचना** डॉ मुकेश 'असीमित' June 9, 2024 हिंदी लेख 0 Comments बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी की लोकोक्तियाँ और मुहावरों को रटते आए हैं, लेकिन कभी उनके गूढ़ार्थ पर दिमाग नहीं लगाया। वैसे भी, तब… Spread the love
दवा प्रतिनिधि से मुलाकात – डॉ मुकेश 'असीमित' June 7, 2024 हिंदी लेख 0 Comments चैम्बर में अपनी एकमात्र कुर्सी पर धंसा ही था कि एक धीमी आवाज आई, “में आई कम इन सर ?” नजरें उठाकर देखा तो आगन्तुक… Spread the love
मेरा लोकतंत्र महान -व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 6, 2024 हिंदी लेख 0 Comments हे प्रजातंत्र के प्रहरीगण, लोक तंत्र के इस विशाल नाटक का पटाक्षेप हो गया है. नाटक जहाँ झूठे वायदों की दुंदभी के आगे सच्चे संकल्प… Spread the love
*नेताजी का पर्यावरण दिवस आयोजन * डॉ मुकेश 'असीमित' June 4, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो… Spread the love
‘मुझे भी बिकना है ‘-व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 4, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments शास्त्रीय संगीतकार च्यवनप्राश के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं, कला का भी बाजार लग गया है। जब कला का मूल्य लग सकता है, तो… Spread the love
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 3, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments एक लेखक के लिए क्या चाहिए? खुद का निठल्लापन, उल-जलूल खुराफाती दिमाग, डेस्कटॉप और कीबोर्ड का जुगाड़, और रचनाओं को झेलने वाले दो-चार पाठकगण। कुछ… Spread the love
**एक पति की व्यथा कथा **तुम मायके कब जाओगे प्रिये ** डॉ मुकेश 'असीमित' June 2, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments हे! छाती पर मूंग दलने वाली हिरद्येशा प्राणप्रिये , पड़ोस के शर्मा जी को ही देख लो, कैसे गर्मी और सर्दी की छुट्टियां आते ही… Spread the love
‘बुरा मानने वाले लोग ‘-व्यंग रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 1, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments .इनके कुछ प्रत्यक्ष लक्षण हैं जैसे अपना मुँह बुरा मानने की मुद्रा में टेढ़ा , भ्रकुटी तनी हुई,नाक के नथुने फूले हुए और फेंफडों की… Spread the love