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Category: समसामयिकी

एक गाँव की पृष्ठभूमि में एक किशोरी टूटी मोबाइल स्क्रीन पर सरकारी पोर्टल खोलने की कोशिश कर रही है, जबकि पास ही एक बुज़ुर्ग हाथ में राशन कार्ड लिए परेशान खड़ा है। पृष्ठभूमि में सौर पैनल और टूटे हुए CSC बोर्ड की झलक।

‘डिजिटल इंडिया’ से ‘डिजिटल असमानता’ तक : क्या सबको मिल रहा है बराबरी का लाभ?

डिजिटल इंडिया के दस वर्षों बाद, आज़ादी और समानता का वादा अधूरा प्रतीत होता है। ग्रामीण भारत अब भी डिजिटल संसाधनों की कमी, तकनीकी अक्षमता…

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"एक बर्फ से ढकी कारगिल चोटी पर तिरंगा फहराता है, उसकी छाया में एक वीर सैनिक की आकृति खड़ी है। दूर खड़ी नई पीढ़ी श्रद्धा और प्रेरणा के साथ ऊपर देख रही है, जैसे अपने भीतर के सैनिक को पहचान रही हो।"

“कारगिल विजय दिवस 2025 – नई पीढ़ी के लिए शौर्यगाथा का संदेश”

“अगर आप चाहें, तो इतिहास रच सकते हैं; लेकिन अगर आप चाहें कि पीढ़ियाँ उसे याद रखें, तो उसे अपने लहू से लिखना होगा।” कारगिल…

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भारतीय संसद भवन की पृष्ठभूमि में खाली कुर्सी, जिस पर "उपराष्ट्रपति" लिखा हो — संवैधानिक रिक्तता और लोकतांत्रिक अस्थिरता का प्रतीक।

“उपराष्ट्रपति का इस्तीफ़ा – लोकतंत्र की चुप्पी में एक तेज़ दस्तक” 

उपराष्ट्रपति का इस्तीफा सिर्फ एक पद त्याग नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं के संतुलन में आए गहरे असंतोष का संकेत है। यह घटना नीतिगत असहमति, राजनीतिक…

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भारत में सूखते जलाशय, सूखे पड़े खेत, और जल की खोज में जूझते लोग – जल संकट की भयावहता को दर्शाता एक दृश्य।

जल संकट : टिकाऊ प्रबंधन की अनिवार्यता

भारत में जल संकट गहराता जा रहा है। 18% जनसंख्या के बावजूद भारत के पास मात्र 4% जल संसाधन हैं। जलवायु परिवर्तन, अति-दोहन और नीतिगत…

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एक ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूह की बैठक में भाग लेती हुई, जहाँ सहकारी आंदोलन की जानकारी दी जा रही है। पृष्ठभूमि में "IYC 2025" का बैनर लगा है।

भारत में सहकारिता का सशक्तिकरण और 2025 अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ घोषित किया जाना भारत के सहकारी आंदोलन के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। “सहकार से समृद्धि” की…

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एक आधे-हरे, आधे-कंक्रीट जंगल वाले धरातल पर खड़ा एक व्यक्ति दोनों हाथों में संतुलन साधते हुए एक ओर पौधा और दूसरी ओर फैक्ट्री मॉडल लिए है, जो हरित विकास की दोधारी राह को दर्शाता है।

हरियाली और विकास : क्या दोनों एक साथ संभव हैं?-समसामयिक लेख

भारत में हरियाली और विकास की बहस पुरानी है। अक्सर आर्थिक तरक्की के नाम पर पर्यावरण की अनदेखी होती रही है। पर यह टकराव अनिवार्य…

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