वे स्थान जहां नहीं किया जाता रावण दहन

Vivek Ranjan Shreevastav Oct 4, 2025 Important days 3

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘भोपाल’ का लेख “वे स्थान जहां नहीं किया जाता रावण दहन” भारतीय संस्कृति की विविधता और सहिष्णुता का जीवंत प्रमाण है। इसमें उन स्थानों का वर्णन है जहां रावण को खलनायक नहीं, बल्कि विद्वान, शिवभक्त और पूजनीय रूप में याद किया जाता है — जैसे बिसरख, मंडोर, कांकेर, विदिशा, कांगड़ा और गढ़चिरौली। लेख बताता है कि भारत में हर कथा का एक से अधिक पक्ष होता है।

वरिष्ठ नागरिक दिवस-बुजुर्गों के प्रति सम्मान, सहयोग और सामाजिक जिम्मेदारी का दिवस

Vivek Ranjan Shreevastav Oct 3, 2025 Important days 0

पहली अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस हमारे समाज के उन वरिष्ठजनों को समर्पित है जिनके अनुभव और मार्गदर्शन के बिना वर्तमान और भविष्य अधूरा है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बुजुर्गों का सम्मान, सहयोग और सुरक्षा सुनिश्चित करना हर नागरिक का कर्तव्य है। बदलती जीवनशैली, अकेलेपन और आर्थिक चुनौतियों के बीच उनके लिए सामाजिक सहयोग और कल्याणकारी योजनाएँ जीवन को गरिमामय बना सकती हैं।

दशहरा 2025: क्यों रावण जलता है और राम पूजित होते हैं? एक दार्शनिक विमर्श

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 2, 2025 Important days 0

दशहरा केवल पुतलों का त्योहार नहीं, यह मनुष्य के भीतर छिपे रावण और राम के बीच की लड़ाई है। रावण के पास सामर्थ्य, ज्ञान और वैभव था, लेकिन संतोष नहीं। राम के पास संघर्ष और वनवास था, लेकिन संतोष ही उनकी शक्ति थी। रावण इच्छाओं का दास था, राम आत्मसंयम के स्वामी। यही कारण है कि आज भी रावण जलाया जाता है और राम पूजित होते हैं।

बिटिया दिवस – कैलेंडर में साल में एक दिन दर्ज, दिल में स्थायी रूप से

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 28, 2025 Important days 0

बेटी दिवस पर यह व्यंग्य पूछता है—क्या बेटी के लिए कोई अलग डे बनाना ज़रूरी है? वो तो पिता के जीवन की सदा बहार वसंत है। उसके आंसू पिघला दें, उसकी हंसी दिल जीत ले। समाज उसे देवी कहता है, पर फैसले छीन लेता है। असली उत्सव तब होगा जब बेटियों को दिन नहीं, बल्कि पूरी दुनिया मिले।

नवदुर्गा-ताण्डव स्तोत्रम्

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 22, 2025 Important days 0

नवदुर्गा ताण्डव स्तोत्रम् देवी शक्ति के नौ स्वरूपों का अद्भुत संगम है—शैलपुत्री की स्थिरता से लेकर सिद्धिदात्री की पूर्णता तक। यह स्तोत्र न केवल विनाश और सृजन की गाथा है, बल्कि भक्ति, तप, मातृत्व और करुणा का अलौकिक संगीतमय चित्र भी है।

नवरात्र : नई ऊर्जा और शक्ति जागरण का पर्व

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 17, 2025 Culture 0

नवरात्र केवल देवी उपासना का अवसर नहीं, बल्कि आत्मबल और चेतना जागरण का पर्व है। नौ रातें हमें याद दिलाती हैं कि शक्ति हमारे भीतर ही है—साहस, करुणा, विवेक और धैर्य के रूप में। प्राचीन ग्रंथों की तरह यह पर्व भी अमर संदेश देता है—अपने भीतर के अंधकार को पहचानो और उसे परास्त कर दिव्यता की ओर बढ़ो। यही नवरात्र का शाश्वत सत्य है।

वैचारिक आज़ादी और हिंदी की अस्मिता

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 14, 2025 Important days 0

1947 की आज़ादी ने हमें शासन से मुक्त किया, पर मानसिक गुलामी अब भी जारी है। अंग्रेज़ी बोलना प्रतिष्ठा, हिंदी बोलना हीनता क्यों माना जाए? हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है, फिर भी हम अपनी ही मातृभाषा से संकोच करते हैं। सच्ची आज़ादी पार्ट-टू यही है—हीन भावना की जंजीरें तोड़कर, हिंदी को गर्व और आत्मविश्वास के साथ जीवन में अपनाना।

हिंदी दिवस-माइक, माला और मातृभाषा

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 13, 2025 Important days 0

ओपीडी में लेखक-डॉक्टर को एक चालाक रिश्तेदार ‘हिंदी दिवस’ पर मुख्य अतिथि का न्योता थमा देता है—मंशा डोनेशन बटोरने की। तैयारियों के बीच सड़क पर ‘हिंदी माता’ मिलती हैं—लंगड़ाती, अपमानित, साल भर किनारे धकेली हुई। शाल-ताम्रपत्र की औपचारिकता, विभागीय खानापूर्ति और नौकरी-प्रतियोगिता में हिंदी की हीनता पर वे करुण कथा सुनाती हैं। लेखक लौटकर ठठा नहीं, बच्चों को श्रेष्ठ हिंदी साहित्य भेंट करने का संकल्प लेता है।

नेशनल बुक रीड डे : किताबों के साथ एक दिन

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 6, 2025 Important days 2

नेशनल बुक रीड डे किताबों की आत्मीयता का उत्सव है। किताबें थकी आत्मा को सुकून देती हैं, सोच को नई दिशा देती हैं और समय को ठहरा देती हैं। गुटेनबर्ग से लेकर आज के डिजिटल युग तक, किताबों ने जीवन की दिशा बदली है। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि पन्नों की सरसराहट में छिपी कहानियाँ ही असल में आत्मा का संगीत हैं।

शिक्षक दिवस: राधाकृष्णन की रोशनी में आज का अँधेरा पढ़ना

डॉ मुकेश 'असीमित' Sep 5, 2025 Important days 5

शिक्षक दिवस केवल तारीख नहीं, विचार की परीक्षा है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमें सिखाते हैं कि शिक्षा डिग्री नहीं, चरित्र-निर्माण है; ज्ञान तभी शक्ति है जब वह सेवा बने। गुरु सीढ़ी हैं—जो हमें ऊपर ले जाती है। आज की चुनौती है सूचना के शोर में स्वतंत्र चिंतन बचाना, स्क्रीन-टाइम घटाकर मनन बढ़ाना, और ईमानदारी की छोटी प्रतिज्ञाओं से समाज में बड़ा परिवर्तन लाना—दीप से दीप जलाने की परंपरा निभाना।