Vidya Dubey
Oct 4, 2025
हिंदी कविता
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कविता “तेरा लाल मां तुझे पुकारे” मां और पुत्र के भावनात्मक रिश्ते का सुंदर चित्र है। इसमें भक्त पुत्र अपने लाल वस्त्रों, फूलों, चुनरिया और माला के साथ मां से विनती करता है कि वह अपने नौ रूपों में आकर उसका जीवन प्रकाशमय करे। भक्ति, प्रेम और समर्पण से भरी यह कविता मां और भक्त के आत्मिक संवाद की मधुर प्रस्तुति है।
Ram Kumar Joshi
Oct 4, 2025
हिंदी कविता
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सूरत की राजनीति में खानदानी गुरुर ने ऐसा पेंच फँसाया कि ‘बाई’ की जगह ‘राड’ निकल गया। जनसभाओं में गुणगान करते-करते सीट हाथ से निकल गई। लोकसभा में आंख मिचमिचाना भारी पड़ गया और खानदानी कुर्सी भी खिसक गई। मोहब्बत की दुकानें खोलने चले थे, मगर कुछ घर टूट गए—अब जनता भी कह रही है, “हाय देवा, हमें बचा!”
Ram Kumar Joshi
Sep 28, 2025
हिंदी कविता
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कवि सम्मेलन की भव्य सजावट, मंच पर कवि और हजारों दर्शक—लेकिन कविता की जगह मसखरी और चुटकुले। थैलियों में नोट और कवियों का ठाठ, राष्ट्रकवियों की आड़ में हास्यास्पद हरकतें। यह व्यंग्य बताता है कि आज कवि सम्मेलनों का मकसद मनोरंजन और कमाई रह गया है, साहित्यिक संदेश नहीं।
Prahalad Shrimali
Sep 21, 2025
हिंदी कविता
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“आजाद ग़ज़ल” जीवन, समाज और राष्ट्र के विरोधाभासों का जीवंत चित्र खींचती है। माँ की गोद में मासूमियत है तो जंगलों के कटने पर पत्तों का प्रतिरोध भी। सूरज क्रोध में है, धरती धधक रही है, राजनीति अपने होश में है और सैनिक मौन प्रहरी की तरह खड़ा है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 20, 2025
Poems
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भाषा और मेरा रिश्ता महज़ शब्दों का नहीं, स्मृतियों, संवेदनाओं और सांसों का जीवित संगम है। यह कभी जेब में रखी पुरानी चिट्ठी की तरह महकती है, कभी अँधेरे में लालटेन बन जाती है। भाषा मेरे लिए दिशा है, धड़कन है, और दिन-रात साथ बहती आत्मा का संगीत।
Vidya Dubey
Sep 16, 2025
हिंदी कविता
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माँ की यादों में भीगती पलकों से उठती सिसकियाँ अब कभी थमती नहीं। अनकही बातों की भीड़ में हर करवट बेचैनी बनकर जागती है। आँचल की नमी, गोदी का सुकून और अधूरी बातें—सब समय के पहिए में छूट गए। अब बस माँ का इंतज़ार ही शेष है।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Sep 15, 2025
हिंदी कविता
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एक धनाढ्य व्यक्ति, जिसने माँ के लिए महल जैसा घर बनाया था, आज बेसुध विलाप कर रहा है। माँ की हल्की करवट पर जाग जाने वाली वही माँ, महल की ऊँची दीवारों में पुकारते-पुकारते खो गई। उसकी पीड़ा यही थी—“काश ये दीवारें बोल उठतीं।” यह कहानी महज़ शोक नहीं, आधुनिक सुविधाओं में खोई मानवीय संवेदनाओं और मौन की त्रासदी का सजीव प्रतीक है।
Ram Kumar Joshi
Sep 5, 2025
हिंदी कविता
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डा. राम कुमार जोशी की यह हास्य-व्यंग्य रचना "खर्राटा संगीत" वैवाहिक जीवन की हल्की-फुल्की खटास-मीठास को चुटीले अंदाज़ में पेश करती है। इसमें पत्नी के खर्राटों को संगीत की तरह रूपायित कर बांसुरी, ढोल और खर्र-खर्र की ध्वनियों से जोड़ते हुए विनोदी चित्र खड़ा किया गया है।
Mamta Avadhiya
Sep 5, 2025
हिंदी कविता
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यह रचना माँ के प्रति गहरी भावनाओं और स्मृतियों से भीगे रिश्ते का मार्मिक चित्रण है। इसमें माँ की गोद, आँचल और मुस्कान को याद करते हुए कवि अपने मन की बेचैनी, अधूरी बातों और सपनों की ओर संकेत करता है। प्रतीक्षा और तड़प इसे और भावुक बना देती है।
Kishan Tiwari
Sep 5, 2025
गजल
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किशन तिवारी 'भोपाल' की यह ग़ज़ल जीवन की पीड़ा, संघर्ष और रिश्तों की विडंबना का गहन बयान है। इसमें मोहब्बत और विश्वास के टूटे बंधन, सच पर अडिग रहना, महफ़िल में अकेलापन और सत्ता की चुप्पी जैसे बिंब पाठक को आत्ममंथन की ओर ले जाते हैं।