सपना बन जाए-हिंदी कविता

Mahadev Prashad Premi Jul 24, 2021 Hindi poems 0

कोई खुशियों की चाह में रोया,कोई दु:खों की परवाह में रोया,अजीव सिलसिला है इस जिंदगी का,कोई भरोसे के लिए रोया,कोई भरोसा करके रोया,कभी कोई जिन्दगी से नाराज ना होना,क्या पता आप जैसी जिन्दगी,किसी और का सपना बन जाय

“कुण्डली” 6चरण “कर्म”_हिंदी कविता महादेव “प्रेमी “

Mahadev Prashad Premi Jul 14, 2021 Hindi poems 0

कर्म गठरिया लाद कर,जग फिर है इन्सान,जैसा कर वैसा भरे,विधि का यही विधान,विधि का यही विधान,कर्म से सव कुछ आवै,दुख से बदले सुख,सभीविपदा टल जावै,कर्म करे किस्मत वने,जीवन का यह मर्म,“प्रेमी”तेरे भाग्य में,तेरा अपना कर्म।

“कुण्डली” 6चरण “अखवार”-रचियता -महादेव “प्रेमी”-Newspaper Reading Poem

Mahadev Prashad Premi Jul 12, 2021 Hindi poems 0

“कुण्डली”6चरण।“अखवार”अखवार प्रात ही घरपर,ले आता समचार,हिंसा चोरी लूट हो,होवे अत्याचार।होवे अत्याचार,सुसाइड वलत्कार हो।खूव फजीती होय,जो नेता भृष्टखोर हो,राजनीति की चाल,से काम करे सरकार,देश विदेशी खवर,सव छाप रहे अखवार।

वर्षा कविता(poem on Rain )-रचियता -महादेव गर्ग प्रेमी

Mahadev Prashad Premi Jul 12, 2021 Hindi poems 0

वर्षा के दिन आ गये , भरे तलैया ताल खेती की आशा बनी,कृषक हुए खुशहाल न्रत्य करत है मोर पपहिये ने टेर लगाई “प्रेमी” खुश है आज, किसानो का मन हर्षा वन्धी आशा चहु और की आई सुन्दर वर्षा

पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता Unique Son-father relationship

डॉ मुकेश 'असीमित' Dec 14, 2020 Blogs 0

*समस्त पिता एवं पुत्रो को समर्पितएक रचना अज्ञात श्रोत से मिली है. आप सभी को पसंद आएगी. ऐसे ही विचार लेख कविता आदि के लिए जुड़े रहिये बात अपने देश की से

दिवाली त्यौहार कविता -Diwali Poem

Mahadev Prashad Premi Nov 9, 2020 Hindi poems 0

दिवाली का त्यौहार खुशियों का उमंग का हर्ष का रोशनी का त्यौहार है. महादेव प्रेमी द्वारा रचित कुंडली विधा पर आधारित ये कविता आपको इस त्यौहार के महत्त्व को याद दिलाएगी. ऐसे ही कविता लेख आदि के लिए जुड़े रहे बात अपने देश की से

“रस गुल्ला” हिंदी कविता

Mahadev Prashad Premi Jun 30, 2020 Hindi poems 1

रसगुल्ला हिंदी कविता मिठाइयो का बंगाली सरताज रसगुल्ला के ऊपर लिखी एक हंसाती गुदगुदाती कविता है ,पाठको को जरूर पसंद आएगी

“दिन जाड़े के आये” हिंदी कविता

Mahadev Prashad Premi Jun 29, 2020 Hindi poems 0

“दिन जाड़े के आये”कुण्डली6चरण दिन जाड़े के आ गये,सुवहा उठा कुहार,अंग रजाई ना हटे,वाहर लगे फुहार, वाहर लगे फुहार,कि इच्छा हुई खाने की,गाजर हलवा गजक ,पकौडे भी पाने की, “प्रेमी”गुड के संग,बाजरा रोटी खाये,घी मिल जाये साथ,दिना जाडे के आये। रचियता -महादेव प्रेमी