“चिडियों को दाना “हिंदी कविता कुंडीली विधा ८ चरण में प्रस्तुत है. कविता का भावार्थ छल और कपट द्वारा मनुष्य जिस तरह एक दुसरे को धोखा दे रहे है ,उसको दर्शाती हुई है.
“चिड़ियों को दाना”
कुण्डली8चरण
चिड़ियों को दाना दिखा,पैर पकड़ता जाल,
लोभ करै संसार में,कुछ ऐसा ही हाल,
कुछ ऐसा ही हाल,लोभ वश होता रहता,
लोभ के वश मानव,मर्यादा खोता रहता,
चोरी लोभ कराय ,और,हत्या करवावे,
लोभहि पाप कराय, गवाह झुठे दिलवावे,
“प्रेमी” करके लोभ,कभी पड़ता पछताना,
विछा जाल में पटक,दिया चिड़ियों को दाना।
रचियता -महादेव प्रेमी

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