कोरोना काल मे उम्मीद भरा ये गाना

आज जब कोरोना रूपी महामारी में सभी जगह निरशा और अनिष्चितता का अंधेरा छाया हुआ है। ऐसे में एक पुरानी फ़िल्म बातो बातो में का यह गाना शायद आपको जरूर एक आशावान ऊर्जा से भर देगा।

आप इस गाने को एक बार अवश्य सुने । आप इसे खुद भी गुनगुनाये।

मेरा दावा है यह गाना एक आशा की किरण ,उम्मीद की रोशनी जरूर जगायेगा।

गाना / Title: कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे – kahaaN tak ye man ko andhere chhalenge

चित्रपट / Film: बातों बातों में-(Baaton Baaton Mein)

संगीतकार / Music Director: Rajesh Roshan

गीतकार / Lyricist: Yogesh
गायक / Singer(s): किशोर कुमार-(Kishore Kumar)

Lockdown Hope (2020) – Anupam Pal

कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

कभी सुख कभी दुख, यही ज़िंदगी हैं
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं (२)
नये फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

भले तेज कितना, हवा का हो झोंका
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा (२)
जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

कहे कोई कुछ भी, मगर सच यही है
लहर प्यार की जो कभीं उठ रही है (२)
उसे एक दिन तो किनारे मिलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

गाने का विडियो देखे

https://youtu.be/Hz_19oNVX1A
डॉ मुकेश 'असीमित'

डॉ मुकेश 'असीमित'

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान पिन कोड -३२२२०१ मेल…

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान पिन कोड -३२२२०१ मेल आई डी -thefocusunlimited€@gmail.com पेशा: अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ लेखन रुचि: कविताएं, संस्मरण, व्यंग्य और हास्य रचनाएं प्रकाशित  पुस्तक “नरेंद्र मोदी का निर्माण: चायवाला से चौकीदार तक” (किताबगंज प्रकाशन से ) काव्य कुम्भ (साझा संकलन ) नीलम पब्लिकेशन से  काव्य ग्रन्थ भाग प्रथम (साझा संकलन ) लायंस पब्लिकेशन से  अंग्रेजी भाषा में-रोजेज एंड थोर्न्स -(एक व्यंग्य  संग्रह ) नोशन प्रेस से  –गिरने में क्या हर्ज है   -(५१ व्यंग्य रचनाओं का संग्रह ) भावना प्रकाशन से  प्रकाशनाधीन -व्यंग्य चालीसा (साझा संकलन )  किताबगंज   प्रकाशन  से  देश विदेश के जाने माने दैनिकी,साप्ताहिक पत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख प्रकाशित  सम्मान एवं पुरस्कार -स्टेट आई एम ए द्वारा प्रेसिडेंशियल एप्रिसिएशन  अवार्ड  ”

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