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“मच्छर दानी” हिंदी कविता

मछर दानी हिंदी कविता

“मच्छर दानी”
कुण्डली 6चरण

मच्छर दानी बन गयी, मच्छर से हिफाजत,
ये अंदर नहीं घुसते,इसकी बिन इजाजत,

इसकी बिन इजाजत,कि नींद मजे की आती,
साफ़ सफइ नहिं होय,कभी तो ज्वर हो जाती,

“प्रेमी”नीम हकीम,आदि करते मनमानी,
नीम गिलोय तुलसी,संग रखो मच्छर दानी।

रचियता -महादेव प्रेमी

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