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हमारे शहर में भी ‘मोयतो’ की धूम

the middle-aged Indian couple at home trying to make a 'Mojito' while watching a YouTube tutorial.

डिज़ाइनर ग्लास जिसमें परोसा गया वो भी ऐसे था जैसे कोई कमसिन सुकुमारी बीच गर्ल जैसी काया लिए इठलाई खडी हो , उसमे स्ट्रा भी अपनी कमर को बीच में से बेली डांस की मुद्रा में 90 डिग्री झुकाए सजाई गयी थी, ग्लास के एक कोने में नींबू की एक कतली को फंसाया हुआ था और साथ ही गर्मी की तेज धूप में सूख चुकी एक हरी मिर्च भी फंसी हुई थी .

लो जी, हमारे शहर में भी आ गया ‘मोज़िटो’… नहीं, नहीं ‘मोयतो’। इसे ‘मोयतो’ कहते हैं, ये भी मेरे बेटे ने बताया जब मैंने रेस्टोरेंट से आकर उसे फोन पर बताया कि आज तो हम भी ‘मोजिटो’ पीकर आये हैं। पहले तो उसे समझ में ही नहीं आया कि पापा आज कैसे पीए हुए जैसी बहकी बहकी बात कर रहे हैं। पता नहीं क्या पीकर आ गये. फिर उसने मुझे करेक्ट करते हुए कहा, “पापा, उसे ‘मोयतो’ कहते हैं।” दरअसल शहर में एक नया नया फ़ास्ट फ़ूड सेण्टर खुला है ,वैसे तो शहर में कई देसी फ़ास्ट फ़ूड के ठेले गली मोहल्लों में अटे पड़े है ,जहा करीने से सजी हुई मसालेदार्,मेरा मतलब तीखी मिर्चीदार चाट पापडी, पानी, पतासे ,दही बड़े, गुंजिया और उनके ऊपर भिनभिनाती मखियों की टॉपिंग इन्हें लुभावनी बनाती है, ठेले वाले के पसीने से तरबतर हाथों की कुछ टपकी हुई बूंदों से पतासी का घोल और भी नमकीन हो जाता है ।शहरवासी लाइन में लगकर इस देसी फ़ास्ट फ़ूड के चटखारे लेने और बाद में खट्टी डकारें लेने के आदि हो चुके है. ऐसे में फ़ास्ट फ़ूड का ये विलायती संस्करण शहर में खुलना , वास्तब में शहरवासी की आराम से कट रही जिन्दगी में भूचाल लाने जैसा है, शाम को काम धंदे से थके हारे लौटे पतियों को घर में घुसते ही बस बीबी की एक ही फरमाइश सुनायी दे पड रही है ,”सुनो जी शहर में फ़ास्ट फ़ूड सेण्टर खुला है हमे भी ले चलो” पति बेचारारे इस शर्त के साथ की “आज तुम्हरी री री मिटा देता हु ,फिर साल भर की छुट्टी “ के साथ उन्हें इस फ़ास्ट फ़ूड सेण्टर में ले जा रहे है. नाम भी सेण्टर का बढ़िया सा विलायती नाम है ,ताकि लोगों को सोशल मीडिया में सेल्फी खींचकर पोस्ट करने और इम्प्रैशन झाड़ने में आसानी हो, की लो जी हम भी लुत्फ़ उठा रहे है फ़ास्ट फ़ूड सेण्टर का !

खैर, हमारी टेबल पर आधे घंटे बाद जो हमने मंगवाया, वो विलायती बला आ गई. हम भी बडी उत्सुकता से इस लुभावनी विलायती बला का इंतज़ार कर रहे थे, मन ही मन सोच रहे थे, चलो आज तक जो फिल्मों में देखा है की कैसे हीरो-हीरोइन डेट पर जाते हैं, वहाँ ऐसा ही कुछ बला बला मंगाते हैं और फिर इसकी पीगें लेते हुए प्यार की पीग बढ़ाते है . हमे तो अभी तक ये ही लगा था की ये कुछ अंग्रेजी शराब जैसी चीज होती है ,इसलिए आर्डर देने से पहले हमने ये सुनिश्चित कर लिया था की इसमें अंग्रेजी जैसी कुछ चीज तो नहीं है ना ? वेटर ने कहा नहीं बस नाम ही अंग्रेजी है, ये हमारे देसी पण को सुहाता पाचक पेय पदार्थ ही है .” हमने अपने रूटीन मध्यमवर्गीय क्लास टाइप का आर्डर दिया-“एक के दो कर के ले आना ” वेटर हंसा,बोला “सर इसमें हाफ नहीं होता” हमने कहा “चलो कोई नहीं स्ट्रा दो ले आना ” और हमें एक ही प्याले में दो स्ट्रा डालकर कुछ रोमांटिक सा वो फ़िल्मी सीन याद आ गया. सोचा चलो हम भी कुछ फ़िल्मी करते हैं .हम भी श्रीमती जी के साथ इस एक प्याला में दोनों पीकर हम प्याला हो जायेंगे. श्रीमतीं जी की शिकायत भी थी की डेटिंग पर नहीं ले गए, सीधे ही ब्याह रचा दिया है. आज उस टीस को भी दूर करने का अवसर था. जैसे ही ऑर्डर आया, हमने निगाह चारो तरफ घुमायी, अपने अतिउत्साहित गर्वित दिल को ठेस लगी, जब देखा कि रेस्टौरेंट में सभी टेबलों पर बैठे हुए जवान, बूढ़े, कपल ,लड़के लडकियां और बुर्के, लहंगे, सारी से आवारित महिलाऐं ,सभी ने इसी बला का ऑर्डर दिया हुआ था. कोई पीने में व्यस्त, कोई उसे घूरने में व्यस्त, कोई उसके साथ सेल्फी खिंचाने में व्यस्त. हमने इसे गौर से देखा, उसके बाद श्रीमती जी को देखा, फिर काफी देर देखने के बाद इसे श्रीमती जी की तरफ सरका दिया. फिर श्रीमती जी, उसका बारीकी से मुआयना करने लगी ,उसका नाम जो वेटर ने बताया था उसे भूल गए ,इसलिए दुबारा मेनू कार्ड देखा,नाम का उचारण अटपटा सा था ,तो उसे याद करने के लिए मेनू कार्ड से नाम का फोटो खींच लिया ताकि बाद में बता तो सकें की इस बला का आखिर नाम क्या था . डिज़ाइनर ग्लास जिसमें परोसा गया वो भी ऐसे था जैसे कोई कमसिन सुकुमारी बीच गर्ल जैसी काया लिए इठलाई खडी हो , उसमे स्ट्रा भी अपनी कमर को बीच में से बेली डांस की मुद्रा में 90 डिग्री झुकाए सजाई गयी थी, ग्लास के एक कोने में नींबू की एक कतली को फंसाया हुआ था और साथ ही गर्मी की तेज धूप में सूख चुकी एक हरी मिर्च भी फंसी हुई थी . प्याले ने सिर्फ अपने सिरे के उपरी भाग में थोड़ी सी उथली सी जगह दे दी थी जिसमें वो द्रव्य समाये हुए था जिसे हमें पीना था.

ऐसा लग रहा था जैसे किसी नरेगा के मजदूर ने सूखे बंजर के खेत में तालाब की खुदाई की हो, बस इतनी सी जगह उस प्याले में थी.हमें भी किसी गुमनाम शायर का शेर याद आ गया, ‘आज इतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में, छोड़ दिया करते थे जितनी कभी पैमाने में.’ बीच में भरे द्रव्य में कुछ पुदीना की पत्तियाँ तैर रही थीं, मानो कोई जलपरी स्विमिंग पूल में तैर रही हो. बीच-बीच में कुछ बर्फ के हिमखंड भी पड़े हुए थे, लग रहा था मानो कि गर्मी की तेज धूप से पिघलकर हिमखंड सीधे इस प्याले रुपी सागर समा गए हों . वाह रे ग्लोबल वार्मिंग, सीधा नज़ारा वो भी मेरे प्याले में.

Indian couple waiting excitedly for their 'Mojito' in a bustling restaurant.

“सर कुछ और ऑर्डर है?” इस शब्द के साथ हमारी तंद्रा टूटी. वेटर हमें जल्दी से प्याला खाली कर के टेबल छोड़ने का इनडायरेक्ट संकेत दे चुका था. कुछ लोग वहां खड़े हमारे इस सौंदर्य दर्शन के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे. हमने और श्रीमती जी ने झट से मोबाइल निकाला और पाँच आडी, तिरछी ,उलटी सीधी सेल्फी उस ‘मोयतो’ बला के साथ ली. तुरत फुरत फेसबुक पर डाला, इस कोशिश में की कुछ लाइक्स कमेंट हम भी बटोर लें, जब सभी फेसबुक की बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं ,तो हमें भी ‘फोटो खींच और फेसबुक पर डाल’रूपी पुण्य कार्य कर लेना चाहिए. इसके बाद उस पेय पदार्थ को एक ही सांस में स्ट्रॉ कें द्वारा खींच लिया गया .एक डकार वैसे तो अपने रौद्र स्वरुप में आने को आतुर ,हमारे गले तक आयी ,लेकिन हमने उसे लोकलाज के लिहाज से रेस्टोरेंट के बाहर जाने तक दबाये रखा. वहाँ से उठके बिल अदा किया. जैसे ही बाहर निकले, श्रीमती जी ने पूछा कितने का था? मैंने कहा, 90 रुपये का. स्वाद कैसा लगा? मैंने कहा, “वैसा ही जैसा नींबू पानी तुम बनाती हो, उसमें पुदीना डालती हो, थोड़ा जल जीरे का मसाला भी , हा जो ब्लू कलर था वो कौनसी कंपनी का था ये पता नहीं लगा ” श्रीमती जी के चिंतित भाव की अग्नि को शांत करते हुए बात आगे बढ़ायी “अरे ज्यादा दिमाग मत लगाओ, 10 रु का जल जीरा और 80 रु उस डिज़ाइनर ग्लास के ,साथ ही उस बला के विलायती नाम के है, जो तुम्हें अब भी याद नहीं है.और हाँ फिर आज हमें भी इस बला ने आम आदमी से उठाकर उन अत्याधुनिक 7 स्टार मॉडर्न जमाने की श्रेणी में खड़ा किया है!” ये सब मिलाकर तो इसकी कीमत कुछ भी नहीं!”

श्रीमती जी ने मोबाइल में उसके नाम का खींचा हुआ फोटो एक बार दुबारा देखा,मन ही मन उसे थोडा उचारण किया . घर जाकर श्रीमती जी YouTube में इस ‘मोयतो’ बला के बनाने की विधि के वीडियो देख रही है . अब अगले 15 दिन घर में रोज ये होम मेड ‘मोयतो’ का देसी संस्करण बनाया जाएगा। उसके लिए खास डिज़ाइनर ग्लास भी ऑर्डर दे दिए हैं.

आपको भी पीना है तो पधारे मेरी झोंपड़ी में, हो भाग्य हमारे.

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