“नव दुर्गा -ताण्डव स्तोत्रम्” जहाँ हर देवी का निरूपण उसी ताण्डव-लय शैली में है, जैसे रावन द्वारा रचित शिव- स्तोत्रम् में है

१. शैलपुत्री
शैलसुतां सुशोभिनीं हिमालयात्मजां शिवाम्।
वृषारूढां त्रिशूलिनीं सुवर्णमौलिसुन्दरीम्॥
स्थैर्यधैर्यदायिनीं प्रसूतिधर्मसंयुताम्।
भजामि पर्वतेश्वरीं तपोव्रतानुसारिणीम्॥
गिरिप्रसूतिभाविनीं दिगम्बरामनुपमाम्।
प्रसीदतु माँ शैलपुत्री नमो नमः॥१॥

२. ब्रह्मचारिणी
दीर्घतपःसमाधिनीं जपामलाकमण्डलुम्।
व्रतस्थधैर्यदायिनीं प्रसन्नमूर्तिभासिनीम्॥
संयमदीप्तिदायिनीं विरक्तध्याननायिनीम्।
भजामि ब्रह्मचारिणीं तपोधनाङ्कशोभिनीम्॥
वैराग्यमार्गदायिनीं शान्तिसोपानकारिणीम्।
प्रसीदतु माँ ब्रह्मचारिणी नमो नमः॥२॥

३. चन्द्रघण्टा
सिंहवाहिनीं करालदंष्ट्रमण्डिताननाम्।
घण्टाघोषविस्फुटां दिगन्तनादभैरवीम्॥
त्रिनेत्रदीप्तिमालिनीं भयापहां मनोरमाम्।
भजामि चन्द्रघण्टिकां दैत्यसंहरकारिणीम्॥
वीरप्रदां प्रसन्नधीं महाशक्तिं महेश्वरीम्।
जयतु चन्द्रघण्टा देवी नमो नमः॥३॥

४. कूष्माण्डा
हासरेण प्रपञ्चमण्डलोत्पतिं प्रबोधिताम्।
जगन्मयीं महाशक्तिं विभूतिरूपधारिणीम्॥
सूर्यमण्डलमध्यगां किरणज्वलितप्रभाम्।
भजामि कूष्माण्डिनीं महाभयापहारिणीम्॥
अणुमात्रहासिनीं ब्रह्माण्डोत्पत्तिकारिणीम्।
प्रसीदतु माँ कूष्माण्डा नमो नमः॥४॥

५. स्कन्दमाता
कार्तिकेयजनन्ययं सिंहवाहिनीं सुभाम्।
पद्महस्तधरां नित्यां मातृत्वमूर्तिरूपिणीम्॥
विशालहृदयाम्भुजे कुमारमालिनीं शिवाम्।
भजामि स्कन्दमातरं जगत्प्रसूतिमङ्गलाम्॥
भक्तवत्सलां करुणामयीं प्रसन्नवदनाम्बिकाम्।
प्रसीदतु माँ स्कन्दमाता नमो नमः॥५॥

६. कात्यायनी
ऋषिकन्यां तपःसमुद्भवां महाव्रतान्विताम्।
खड्गखेटधरां देवीं महिषासुरमर्दिनीम्॥
रक्तवर्णतडिद्गतां महाप्रभावदायिनीम्।
भजामि कात्यायनीं विजयप्रदां महेश्वरीम्॥
सर्वशत्रुसंहरां करुणामयीं मनोरमाम्।
प्रसीदतु माँ कात्यायनी नमो नमः॥६॥

७. कालरात्रि
घोररूपधरां देवीं विकटदंष्ट्रमण्डिताम्।
त्रिनेत्रदीप्तिशोभिनीं तमोनाशकरां पराम्॥
वज्रखड्गधरां नित्यां जगन्निवारिणीं शिवाम्।
भजामि कालरात्रिकां भयप्रशमनप्रदाम्॥
सर्वपापविनाशिनीं कल्याणकरीं पराम्।
प्रसीदतु माँ कालरात्रि नमो नमः॥७॥

८. महागौरी
श्वेतवस्त्रपरिधानिनीं हिमांशुकान्तिसुन्दरीम्।
शिवप्रियां महाशुभां करुणामयीं मनोरमाम्॥
शान्तिमूर्तिरूपिणीं समस्तदुःखनाशिनीम्।
भजामि महागौरिकां प्रसन्नवदनाम्बिकाम्॥
मंगलप्रदिनीं नित्यां निर्मलप्रभामनुपमाम्।
प्रसीदतु माँ महागौरी नमो नमः॥८॥

९. सिद्धिदात्री
कमलासनां वरप्रदां महाशक्तिं सनातनीम्।
अष्टसिद्धिप्रदायिनीं विभूतिसंपदां पराम्॥
अर्धनारीश्वरप्रदां जगन्मयीं महेश्वरीम्।
भजामि सिद्धिदात्रिकां प्रसन्नमूर्तिमम्बिकाम्॥
सर्वसिद्धिप्रदां नित्यां करुणामयीं पराम्।
प्रसीदतु माँ सिद्धिदात्री नमो नमः॥९॥

फलश्रुति
एता नवकुमार्यः स्युः नवदुर्गा प्रकीर्तिताः।
याः पूज्यन्ते नरैः भक्त्या सर्वसिद्धिफलप्रदाः॥
सर्वदुःखनाशिन्यश्च सर्वमङ्गलकारिणः।
भवेत्सदा कृपाकटाक्षेण देवीभिः परिपालितः॥१०॥

✍ लेखक, 📷 फ़ोटोग्राफ़र, 🩺 चिकित्सक
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