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A surrealistic abstract artwork depicting the intimate bond between a human and language—an old folded letter radiating earthy fragrance, a glowing lantern in darkness, a mother’s echoing call in crowded alleys, a childhood swing suspended in memory, and rhythmic waves of sound merging with soil and breath.

भाषा और मेरा रिश्ता-कविता

भाषा और मेरा रिश्ता महज़ शब्दों का नहीं, स्मृतियों, संवेदनाओं और सांसों का जीवित संगम है। यह कभी जेब में रखी पुरानी चिट्ठी की तरह…

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बड़े कोल्हू का कार्टून—बीच में जोते हुए पट्टी बांधे बैल, ऊपर आराम करते नेता-आफिसर तेल की बोतलें पकड़ कर हँस रहे हैं; पृष्ठभूमि में रैलियों के लाउडस्पीकर और घंटी बजती दिखती है।

कोल्हू का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना

यह लोकतंत्र दरअसल एक कोल्हू है जिसमें बैल बनकर हम आमजन जोते जा रहे हैं। मालिक—नेता और अफसर—आराम से ऊँची कुर्सियों पर बैठकर तेल चूस…

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“लाइन-चित्र में एक व्यंग्यात्मक दृश्य: उधार लौटाने से बचता दोस्त, दूसरे दोस्त के हाथ में मिठाई का डिब्बा और कर्ज़ की फाइल, पृष्ठभूमि में गुड मॉर्निंग मैसेज और भागते दोस्त।”

दोस्ती और उधार-हास्य व्यंग्य रचना

दोस्ती अमृत है, मगर उधार की चिपचिपाहट इसे छाछ बना देती है। वही दोस्त जो आपकी माँ का हाल पूछता था, अचानक आपकी क्रेडिट कार्ड…

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प्रेमी की कुण्डलियाँ -Premi ki kundaliyan

यह संग्रह पाठकों को समर्पित है—उन सभी साहित्यप्रेमियों को, जो कविता को केवल मनोरंजन का साधन न मानकर जीवन-सत्य का आईना समझते हैं। प्रस्तुत संकलन……

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“Surrealistic abstract artwork in ancient manuscript style showing a glowing goddess-eye with nine concentric circles of energy, lotus and flame motifs, and silhouettes of devotees on a palm-leaf background.”

नवरात्र : नई ऊर्जा और शक्ति जागरण का पर्व

नवरात्र केवल देवी उपासना का अवसर नहीं, बल्कि आत्मबल और चेतना जागरण का पर्व है। नौ रातें हमें याद दिलाती हैं कि शक्ति हमारे भीतर…

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एक अमूर्त सुरियलिस्टिक चित्र जिसमें एक धुँधली औरत का आँचल बहते जल जैसा दिखता है, जिस पर एक बच्चा सिर रखे सोया है। उसकी पलकों से आँसू मोतियों की तरह गिरकर समय के पहिए में बदल रहे हैं। पृष्ठभूमि में धुंधले बादल और टूटता हुआ चाँद।

समय का पहिया चलता है-कविता रचना

माँ की यादों में भीगती पलकों से उठती सिसकियाँ अब कभी थमती नहीं। अनकही बातों की भीड़ में हर करवट बेचैनी बनकर जागती है। आँचल…

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“व्यंग्य चित्र: मंच पर लेखक को ओढ़ाई जा रही शॉल, पास में सोहन पापड़ी और श्रीफल। आयोजक कैमरे से फोटो खींचते हुए, पीछे शॉल का ‘Recycle Zone’। यह दृश्य साहित्यिक आयोजनों में शॉल और सोहन पापड़ी की अंतहीन यात्रा पर कटाक्ष करता है।”

लेखक, शॉल और सोहन पापड़ी-व्यंग्य रचना

लेखक और शॉल का रिश्ता उतना ही अटूट है जितना संसद और हंगामे का। शॉल ओढ़े बिना लेखक अधूरा, और सोहन पापड़ी के डिब्बे के…

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मिनिमलिस्ट पोस्टर जिसमें दीये की लौ से बनता हुआ देवनागरी अक्षर “ह” है; लौ से निकली पतली सर्किट-लाइने एक छोटे ग्लोब को घेर रही हैं—हिंदी, तकनीक और विश्व सेतु का संकेत।

हिंदी हैं हम हिंदोस्ता हमारा

हिंदी दिवस कोई स्मृति-लेन नहीं, आत्मगौरव का वार्षिक एमओयू है—जिसमें हम तय करें कि अदालत, विज्ञान, स्टार्टअप और दफ्तर की फाइल तक हिंदी का सलीका…

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Illustration of a banyan tree symbolizing Hindi’s role in culture, justice, education, media, and trade, with roots in Sanskrit and branches connecting other Indian languages, set in a digital era background.

राजभाषा, ज्ञान-व्यवस्था और डिजिटल युग में हिंदी की आगे की राह

हिंदी का भविष्य केवल भावनाओं से तय नहीं होगा, बल्कि छह खानों में इसकी ताक़त और चुनौतियाँ दिखती हैं—संस्कृति, व्यापार, न्याय, शिक्षा, मीडिया और सद्भाव।…

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