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शिव और शक्ति: एकत्व का परिवेश-कविता रचना -डॉ मुकेश

shiva shakti poem

शिव शून्यता में असीमितता , शक्ति प्रकृति में विलासिता,

एक अव्यक्त, दूसरी व्यक्त की परिपूर्णता।

जहाँ शिव समाधि में लीन, वहाँ शक्ति जीवन की धारा,

दोनों मिल जाएं तो बने, सृष्टि का अनमोल  सार।

शिव का तांडव, शक्ति का नृत्य,

जीवन और मृत्यु के बीच, अद्भुत व्युत्पत्ति।

शिव अगर हैं निर्गुण, शक्ति सगुण का भास,

दोनों साथ में हों तो, हर दुख का हो विनाश।

शिव की तपस्या में, शक्ति की ममता,

एक अकेला नहीं, विलक्षण सामंजस्य और समता।

शक्ति की ऊर्जा से, शिव का आधार,

एक दूसरे में समाहित, ब्रह्मांड का संसार।

शिव ध्यान में अनंत, शक्ति कर्म में विश्रांत,

दोनों का मेल जब हो, जीवन बनेभव्यता का द्रष्टान्त ।

एक बिना दूसरे के, अधूरा हर एक कथानक,

शिव और शक्ति मिले तो, सम्पूर्ण ब्रह्मांड अभिव्यक्त।

इस सृष्टि के कण-कण में, शिव-शक्ति का वास,

एक दूसरे से अलग नहीं,  है  अनंत और  अविनाश।

यही तो है विश्व का अद्भुत रहस्य,

शिव और शक्ति का एकत्व, जीवन की शाश्वत अभिव्यक्ति।

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