*फटूकड़ियां – 2025*
*लोकतांत्रिक दीपावली
*शुभ लाभ*
*फटूकड़ियां – 2025*
*लोकतांत्रिक दीपावली ![]()
देशभक्ति कर्तव्यनिष्ठा कर्मठता एकता सद्भाव सौहार्द सहयोग की हो दीपमाला!
घर-घर पहुंचे जनसेवकों की सेवा का आदर्श उजाला!!
*राजनीति के बम-फुलझड़ी ![]()
नागरिक थोड़ा-बहुत विचार प्रदूषण सह लेते हैं!
क्योंकि राजनीति के बम फूटकर फुलझड़ी वाला सुख देते हैं!!
*स्वागत दीप ![]()
प्रकाश का महत्व समझते जा रहे हैं!
सुलझे अंधेरवादी अब उजालों के पक्ष में आ रहे हैं!
हार्दिक स्वागत में दीप मुस्कुरा रहे हैं!!
*सिंदूरी आभा ![]()
जितनी दूर पटाखों से धुआं,पनघट से कुआं!
आतंकियों से उतना ही दूर!ऑपरेशन सिंदूर!यह तथ्य दुनियाभर में मशहूर!!
*सजग चेतना:-*
रावण को रामलीला वालों का ढीला ढाला प्रबंध बहुत खला!कई जगहों पर रावण का पुतला जैसे-तैसे प्रयत्न पूर्वक जला!
रावण गंभीरता से यह मामला उठाना चाहता है!
अगली बार अपना पुतला जलाने का ठेका रावण खुद पाना चाहता है!!
*बयानों के बम ![]()
लोगों में पटाखों पर प्रतिबंध बाबत बहस बरसती रही झमाझम!
नेता घोषणा कर-करके बयानों के बम फोड़ते रहे धमाधम!
खूब फैला इस पर चर्चा का धुआं!
जिसे देख खुशफहमी के मारे भारी लोकप्रियता का भ्रम हुआ!!
*आत्म अवलोकन-दीप
न्यायाधीशों के मन में आत्म अवलोकन के दीप जलें!
उस प्रकाश में नैतिकता भरपूर फूले फले!
ताकि जजों के घर में बोरे भर-भर नोट नहीं जलें, नहीं मिलें!
*पटाखा प्रदूषण ![]()
अदालत वाले भी बाज नहीं आ रहे हैं!
अहंकारी लापरवाही से शब्दों के पटाखे फोड़ते जा रहे हैं!
जो जनभावनाओं के प्रति भयंकर हानिकारक प्रदूषण फैला रहे हैं!
*नादान पटाखे ![]()
दीपावली क्यों मनाई जाती है!
मासूम नई पीढ़ी कारण नहीं बता पाती है!
नादान बंदा यह कहकर मुस्कुराता है!
कि पटाखे फोड़ने में बड़ा मजा आता है!
संस्कृति का पाठ शुभ संस्कार के लाभकारी बीज बोता है!
अज्ञान का प्रदूषण बहुत ज्यादा खतरनाक होता है!!
*न्याय-दीप ![]()
न्याय के दीप में हो विवेक का दिव्य प्रकाश!
कुतर्क के धुएं से प्रदूषित ना हो जनभावनाओं का निर्मल आकाश!
ताकि संभव हो राष्ट्र का सर्वांगीण सुख शांतिमय विकास!
*शांति की फुलझड़ियां ![]()
ट्रंप अब शांति की फुलझड़ियों के लिए नहीं मचलेगा!
आवश्यकता पड़ने पर भारत ब्रह्मोस चलाए तो भी खिलाफत में नहीं उछलेगा!
क्योंकि शांति का नोबेल खिसक गया है!
यह देखकर आतंकी गुब्बारा पिचक गया है!!
– प्रहलाद श्रीमाली