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Tag: व्यंग्य

एक युवक मोबाइल में मग्न होकर "हैप्पी मदर्स डे" लिखी सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, उसके पीछे माँ रसोई में पसीने से तर-बतर होकर चूल्हे पर रोटी सेंक रही है। उसके माथे पर हल्की थकान, पर चेहरे पर वही स्थायी मुस्कान। युवक की पोस्ट पर मोबाइल स्क्रीन से '999 लाइक्स' के बबल्स उछल रहे हैं, और पास ही माँ बड़बड़ा रही है – "फेसबुक से पेट भरता है क्या?" दीवार पर एक कैलेंडर टंगा है, जिसमें हर दिन 'मदर्स डे' लिखा है — बस तारीख़ बदलती है। बाजार में एक बड़ा बैनर लटक रहा है — "Buy 1 Get 1 Free – Emotionally Packaged Mother’s Day Gifts!" पीछे टीवी पर ऐंकर चिल्ला रहा है — “Emotional Sale का आखिरी दिन!”

मदर्स डे –एक दिन की चांदनी फिर अँधेरी…

एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक…

एक कार्टून शैली की छवि जिसमें एक बड़ा नाक और चौड़ी मुस्कान वाला आदमी पीली शर्ट और जींस में खड़ा है, उसकी मुद्रा उत्साहित और मासूम है, जैसे उसने किसी 'महान विचार' को पकड़ लिया हो।

बेवकूफी – भारत का इकलौता प्रमाणित समाधान

बेवकूफ बनना कोई साधारण काम नहीं, यह भी एक कला और तपस्या है, जिसमें सामने वाले को यह आभास भी न हो कि आप अभिनय…

humorous and chaotic atmosphere of the doctor's clinic that doubles as his writer's den. The doctor's perplexed expression and the mix of medical and literary items highlight his comical struggle between the two vocations.

“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना

एक लेखक के लिए क्या चाहिए? खुद का निठल्लापन, उल-जलूल खुराफाती दिमाग, डेस्कटॉप और कीबोर्ड का जुगाड़, और रचनाओं को झेलने वाले दो-चार पाठकगण। कुछ……

A group of friends at a traditional Indian sweet shop, with one friend explaining to a confused foreigner how jalebi is filled with syrup using an injection

जलेबी -मीठी यादों की रसभरी मिठाई

भारत की बहु-आयामी संस्कृति में एक ऐसी मिठाई है जिसने अपने रंग, रूप और स्वाद से हर उम्र के लोगों को मोहित कर रखा है…