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Tag: कैरिकेचर

"हास्य-व्यंग्यात्मक कार्टून जिसमें मोबाइल पर लगातार काम करते हुए दर्द से परेशान अंगूठा बैंडेज बांधे दिखाया गया है, जबकि बाकी उंगलियाँ आराम से बैठी हैं। अंगूठा थकान और जिम्मेदारी से कराहता हुआ घर के मुखिया की तरह दिख रहा है।"

अंगूठे का दर्द,अंगुली नहीं जानती

“अंगूठा डिजिटल युग का असली मुखिया है—स्याही वाले निशान से पहचान तक और मोबाइल की स्क्रीन पर टाइपिंग तक। लेकिन दुख यह है कि अंगूठे…

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खद्दरधारी हिंदी गुरुजी मैग्निफाइंग ग्लास से डॉक्टर-लेखक की फेसबुक पोस्ट में बिंदी-अनुस्वार टटोलते हुए—लाइन आर्ट कार्टून कैरिकेचर, 16:9।

मैं और मेरी हिंदी-व्यंग्य रचना

मैं, अंग्रेज़ी दवा लिखने वाला डॉक्टर, अब हिंदी में लिखने लगा तो शहर के ‘हिंदी प्रहरी’ गुरुजी मेरी हर पोस्ट में बिंदी-अनुस्वार ढूंढते फिरते हैं।…

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कार्टून कैरिकेचर (16:9): श्राद्ध-पक्ष का आँगन। पत्तल पर खीर रखी है, पास में परिवार तर्पण करता दिख रहा है। ससुराल की मुंडेर पर सूट-बूट पहना “जमाई” कौवे की मुद्रा में कांव-कांव करता बैठा है। एक तरफ अब्दुल चाचा पिंजरे में दो कौवे लिए “कांव सेवा ₹101” का बोर्ड पकड़े नोट गिन रहे हैं। दृश्य व्यंग्य, चमकीले फ्लैट रंग, मोटी आउटलाइन।

जमाई राजा—कलियुग के कौवे 

श्राद्ध पक्ष में कौवों की कमी ने परम्पराओं को भी स्टार्टअप बना दिया। अब्दुल चाचा दो कौवे पालकर खीर चखवाने का 101 रुपये वाला ‘डिलीवरी…

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"व्यंग्यात्मक कार्टून – पिता हाथ में मोटी डिक्शनरी लिए उलझन में, बेटा मोबाइल पर तेज़ी से टाइप करता हुआ। चारों ओर ‘LOL’, ‘ROFL’, ‘BRB’, ‘IDK’ और इमोजी तैरते हुए, पिता के दिमाग़ में बिरयानी का ख्याल, जबकि बेटा डिजिटल हंसी में डूबा।"

क्या पापा – लोल – “लोल हो गया संवाद”

डिजिटल युग की हंसी अब मुँह से नहीं, मोबाइल से निकलती है। पिता ‘LOL’ सुनकर असली हंसी देखना चाहते हैं, जबकि बेटा ‘BRB’, ‘ROFL’, ‘IDK’…

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"कार्टून रेखाचित्र जिसमें एक ऊंघता हुआ चपरासी ऑफिस गेट पर बैठा है, हाथ में बोर्ड पकड़े—‘साहब अवकाश पर हैं’। पास में ताला लगा दरवाज़ा और दीवार पर छुट्टियों से भरा कैलेंडर, साथ ही अफ़सर का चित्र जिसमें वह आरामकुर्सी पर बैठा चाय पीते हुए स्विट्ज़रलैंड की वादियों का सपना देख रहा है।"

अफ़सर अवकाश पर है-हास्य-व्यंग्य रचना

सरकारी दफ़्तरों की असलियत पर यह व्यंग्य कटाक्ष करता है—जहाँ अफ़सर तनख़्वाह तो छुट्टियों की लेते हैं, पर काम के नाम पर बहानेबाज़ी ही उनका…

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"व्यंग्यात्मक रेखाचित्र – भ्रष्टाचार को साँप-चेहरे वाले व्यक्ति के रूप में, रिश्वत को ₹2000 के नोटों की साड़ी पहने नागिन के रूप में दिखाया गया है, जो राखी बाँध रही है, और नेता नकदी के लिफ़ाफ़े लिए खड़े हैं, मंच पर ‘लोकतंत्र रक्षा बंधन पर्व’ लिखा है।"

लोकतंत्र का रक्षा बंधन पर्व-व्यंग्य रचना

रक्षा बंधन पर्व का नया संस्करण—भ्रष्टाचार और रिश्वत का भाई-बहन का पवित्र रिश्ता। सत्ता और विपक्ष दोनों पंडाल में, ₹2000 की नोटों की साड़ी पहने…

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