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Tag: भारतीय लोकतंत्र

शिवपालगंज की गलियों और मंचीय हास्य के बीच बहस करते 'राग दरबारी' के किरदारों का रेखाचित्र; सत्ता, शिक्षा और व्यवस्था पर कटाक्ष करती व्यंग्यात्मक दृश्यावली।

राग दरबारी- एक अनवरत बजता भारतीय राग 

“राग दरबारी कोई उपन्यास नहीं, भारतीय लोकतंत्र की एक्स-रे प्लेट है। श्रीलाल शुक्ल की यह कृति व्यवस्था के सड़ांधभरे तंत्र पर तीखा व्यंग्य करती है।…

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एक आम आदमी चप्पल पहने, सपनों की दुनिया में रंगीन चश्मा लगाए खुले आसमान की ओर देख रहा है, पीछे हल्का धुंधला बैकग्राउंड है जिसमें महल, रॉकेट, संसद और भारत माता की छवि बसी हुई है। वह अकेला किंतु संतुष्ट दिखाई देता है, मानो अपने सपनों में मगन हो।

व्यंग्य चिंतन में मुंगेरीलाल

मुंगेरीलाल केवल एक चरित्र नहीं, हर आम आदमी की अंतरात्मा है जो कठिन यथार्थ के बीच भी सुनहरे सपने देखता है। वह न पाखंडी है,…

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