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Tag: सामाजिक विडंबना

"भारत माँ की एक प्रतीकात्मक छवि, आँखों में आँसू, हाथ में मुरझाता तिरंगा, पृष्ठभूमि का एक हिस्सा गौरवशाली अतीत दर्शाता और दूसरा हिस्सा आधुनिक पतन और अव्यवस्था का चित्रण करता हुआ।"

एक चिट्ठी भारत माँ के नाम

भारत माँ को लिखी बेटी की भावनात्मक चिट्ठी, जिसमें अतीत के गौरवशाली भारत और वर्तमान की विडंबनाओं का तुलनात्मक चित्रण है। वीरता, सांस्कृतिक सौहार्द और…

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ट्रैफिक जाम, गड्ढों भरी सड़क, निराश चेहरे, स्कूल फीस से परेशान अभिभावक और "वाह भाई वाह" का बोर्ड लिए खड़ा आम नागरिक।

वाह भाई वाह -कविता -हास्य व्यंग्य

सामाजिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती ये कविता ‘वाह भाई वाह’ हमें उन विसंगतियों का एहसास कराती है जहाँ ज़िंदगी त्रासदी बन चुकी है, फिर…

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किट्टी पार्टी में सजी-धजी संभ्रांत महिलाएं, एक आलीशान फ्लैट के वातानुकूलित ड्राइंग रूम में बाढ़ पर्यटन की तस्वीरें और वीडियो देखते हुए, एक अधिकारी की पत्नी अपने अनुभव साझा करती हुई।

अमरूद की अमर कथा

इस व्यंग्य चित्रण में एक हाई-फाई कॉलोनी की किट्टी पार्टी में एक अधिकारी की पत्नी, बाढ़ प्रभावित गांवों की त्रासदी को पर्यटन अनुभव की तरह…

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